कढ़ी पत्ते का पेड़ अन्य नाम: बर्गेरा कोएनिजी, (Bergera koenigii), चल्कास कोएनिजी (Chalcas koenigii)) उष्णकटिबंधीय तथा उप-उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाने वाला रुतासी (Rutaceae) परिवार का एक पेड़ है, जो मूलतः भारत का देशज है। अकसर रसेदार व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले इसके पत्तों को “कढ़ी पत्ता” कहते हैं। कुछ लोग इसे “मीठी नीम की पत्तियां” भी कहते हैं। इसके तमिल नाम का अर्थ है, ‘वो पत्तियां जिनका इस्तेमाल रसेदार व्यंजनों में होता है’। कन्नड़ भाषा में इसका शब्दार्थ निकलता है – “काला नीम”, क्योंकि इसकी पत्तियां देखने में कड़वे नीम की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं। लेकिन इस कढ़ी पत्ते के पेड़ का नीम के पेड़ से कोई संबंध नहीं है। असल में कढ़ी पत्ता, तेज पत्ता या तुलसी के पत्तों, जो भूमध्यसागर में मिलनेवाली ख़ुशबूदार पत्तियां हैं, से बहुत अलग है।
करी पत्ता खाने का सही तरीका
पहली बात यदि आप भोजन में करी पता इस्तेमाल करते हैं तो इसे निकाले नहीं, इसके अलावा एक चम्मच शहद और एक चम्मच करी पत्ता का रस मिलकर सेवन करें, इसके साथ ही आप नींबू, शहद सुर करी पत्ता पाउडर को मिलाकर शरबत के रूप में भी सेवन कर सकते हैं।
करी पत्ते के सेवन से दूर होते हैं ये रोग
1- करी पत्ते को किसी भी तरह से सेवन करने पर दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
2- करी पत्ता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, इसलिए अपच, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं में करी पत्ते का सेवन फायदेमंद होता है।
3- करी पत्ते के सेवन से ब्लड शुगर लेवल घटा है, जिससे डायबिटीज कंट्रोल रहता है।
4- करी पत्ता शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करता है।
5- करी पत्ते के सेवन से किडनी की सफाई होती है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।