प्यूरी शुरुआत में आपके शिशु के लिए सबसे आसान भोजन हो सकता है। फिर भी, शिशु दांत न होने के बावजूद भी मुलायम, ढेलेदार भोजन को भी बहुत जल्दी चबाना सीख सकते हैं। आप यह सुनिश्चित करें कि भोजन अच्छी तरह मसला हुआ है और आप धीरे-धीरे थोड़ा गाढ़ा भोजन बनाने का प्रयास करे।
मीठे या अनाज आधारित सीरियल की प्यूरी को दिन में एक बार ही दें। सब्जी की एक प्यूरी आहार में अवश्य शामिल करें। शिशु के भोजन में नमक, चीनी, शहद या अन्य कोई मिठास प्रदान करने वाली चीज कभी भी नही मिलाएं।
एक बार जब शिशु चम्मच से स्वेच्छा और खुशी से खाना खाने लगता है, तो आप उसके भोजन में कई नई चीजें भी शामिल कर सकती हैं, जैसे कम वसा वाले मांस (लीन मीट) या मुर्गी की प्यूरी दालों, दलहनों या मटर की प्यूरी आलू या चावल के साथ मिश्रित सब्जियों की प्यूरी हरी सब्जियों जैसे मटर, पत्तागोभी, पालक और हरी गोभी की प्यूरी मलाई वाला दूध (फुल क्रीम), दही, फ्रोमेज फ्रे (एक प्रकार की मुलायम चीज़), मलाई युक्त चीज़, पनीर या कस्टर्ड।
आप यह ध्यान रखें कि शिशु को एक साल का होने तक गाय का दूध (या बकरी या भेड़ का दूध) मुख्य पेय के रूप में कभी नहीं देना चाहिए।
जिन खाद्य पदार्थों के प्रति प्रतिक्रिया होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है, उन्हें एक-एक करके अलग समय पर अकेले देना ही बेहतर होगा। ऐसे खाद्य पदार्थों की बहुत छोटी मात्रा में शुरुआत करें और शिशु को छह माह का होने से पहले ये कभी न दें। नीचे ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है|
जो एक समय पर अकेले ही दिए जाने चाहिए, जैसे गाय का दूध या दूध से बने उत्पाद जैसे चीज़, दही, फ्रोमेज फ्रे, मलाईदार चीज़, पनीर मछली और सीपदार मछली
सोयाबीन, खट्टे फल (संतरे का रस समेत), गेहूं, राय और जौ से बने खाद्य पदार्थ जैसे ब्रैड, आटा, पास्ता, नाश्ते के कुछ सीरीयल और रस्क। इन खाद्य पदार्थों में ग्लूटेन (आटे का लस) हो सकता है, जिससे सिलिएक रोग होने की संभावना रहती है।