मध्यप्रदेश के हनी ट्रैप मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इससे राज्य की सियासत में भूचाल आया हुआ है। अब हनी ट्रेप चलाने वाली सरगना ने इसे लेकर बड़ा खुलासा किया है। इस मामले की जांच कर रही एसआईटी को स्कैंडल को चलाने वाली श्वेता जैन ने कबूल किया कि24 दर्जन लड़कियां इस हनी ट्रैप में शामिल थी। ये लोअर मिडिल क्लास से संबंध रखती थी। इन्हें मध्यप्रदेश सरकार के उच्च और शक्तिशाली लोगों के पास भेजा जाता था। इस मामले के सामने आने के बाद 12 नौकरशाहों और पूर्व 8 मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।करोड़ों के टेंडर हासिल करना था लक्ष्य
श्वेता ने बताया कि हनीट्रैप का मुख्य लक्ष्य वीआईपों लोगों से करोड़ों के सरकारी टेंडर हासिल करना था। ज्यादातर ठेके श्वेता और उसकी सहयोगी आरती दलाल कमीशन के आधार पर लोगों को दिलाते थे। ठेकों की खरीद के साथ श्वेता कई आईपीएस और आईएएस अफसरों की पोस्टिंग को भी मैनेज कर रही थी। इंदौर में श्वेता ने एसआईटी
को पूछताछ में बताया कि उन्होंने कई लड़कियों को पैसे का लालच दिया और उन्हें पुरूषों के साथ सोने को कहा। इनमें से ज्यादातर उनकी पिता की उम्र के थे।
एसआईटी की पूछताछ में खुलासा
उदाहरण के तौर पर जब कॉलेज की छात्रा मोनिका यादव और श्वेता का सामना कराया गया। मोनिका ने बतााया कि एक प्रतिष्ठित कॉलेज में एडमिशन के बहाने वो श्वेता के संपर्क में आई। उसका दावा था कि वह मप्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों की करीबी थी। मोनिका को भरोसे में लेने के उन्होंने उसे तीन सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों से मिलाया। श्वेता ने इंदौर और भोपाल के बीच जाने के लिए मोनिका को एक ऑडी कार भी दी।
ऐसे श्वेता के झांसे में फंसी
एसआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मोनिका ने शुरू में श्वेता को मना कर दिया। इसके बाद आरती दयाल मोनिका के घर आई और उसके पिता से कहा कि वो अगर अपनी बेटी को भोपाल भेजेंगे तो उसका एनजीओ उनकी शिक्षा का सारा खर्च वहन करेगा। आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उसने मोनिका को भोपाल भेज दिया। मोनिका ने कहा कि एक दिन आरती ने उसे श्वेता का एक एमएमएस दिखाया जिसमें वो नौकरशाह के साथ सेक्स कर रही थी। आरती ने मोनिका से कहा कि टॉप पर पहुंचने के लिए ये करना होगा। एसआईटी ने खुलासा किया कि एनजीओ के नाम पर कई मिडिल सक्लॉस की लड़कियों को नौकरी का झांसा दिया गया। इसके बाद उनका ब्रैनवॉश किया गया और हनी ट्रैप में धकेला गया।