Home जानिए सर्दियों के लिए सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा…

सर्दियों के लिए सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा…

0

मौसम बदलते ही बच्चों, वृद्धों और शीत सुग्राही प्रकृति वाले लोगों को खांसी-जुकाम हो जाता है। ऐसे में एलोपैथी दवा निरंतर लेने से श्वसन तंत्र में खुश्की और पाचन तंत्र में गड़बड़ होने की शिकायत होने लगती है। खांसी-जुकाम के लिए यदि घरेलू नुस्खों को अपनाया जाए तो न सिर्फ खांसी-जुकाम बल्कि अन्य परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।

यदि रात को सोते समय खांसी हो तो एक बड़ी इलायची (डोडा) एवं एक लौंग (लवंग) को सेंककर या भूनकर तथा पीसकर इसका एक चौथाई भाग चूर्ण (उम्रानुसार) शहद में मिलाकर धीरे-धीरे लगभग पांच मिनट तक चटाएं। इससे गला साफ होगा, खांसी से राहत मिलेगी और बच्चा सो जाएगा। उम्र के हिसाब से इसकी मात्र बढ़ाई जा सकती है लेकिन एक बार में अधिकतम आधे डोडे और एक लौंग से ज्यादा न हो। बलगम वाली खांसी एव अस्थमा में राहत के लिए बसा (अडूसा अरसूटा, बसोड़ा) लेकर उसमें आधा छोटा चम्मच अदरक और तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर थोड़ा-थोड़ा चटाएं। जिन वृद्धों को लगातार ऐसी खांसी रहती है उनके लिए यह उपचार बहुत ही फायदेमंद है। यदि जुकाम, खांसी, नाक बंद रहने व एलर्जी की समस्या हो तो सुबह-शाम 15 साबुत काली मिर्च दांतों से अच्छी तरह चबाएं तथा एक गिलास गुनगुना दूध पिएं जिसमें अदरक और तुलसी के पत्तों का रस मिला हो। यह कार्य तीन दिन से पांच दिन तक करें। इससे जुकाम और एलर्जी में राहत मिलती है तथा नेत्र ज्योति भी बढ़ती है, काली मिर्च शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। सूखी खांसी में राहत के लिए गुड़, पिसी हल्दी और मुलैठी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर गोली बना कर चूसना चाहिए या काले नमक का टुकड़ा मुंह में रखकर थोड़ी देर चूसते रहने से भी राहत मिलती है। इससे पेट गैस का निस्तारण होता है। अदरक के टुकड़े को छीलकर शहद में डुबोकर चूसने से भी खांसी में राहत मिलती है। इससे कफ की जो पतली झिल्ली गले में अटकी रहती है जिसके कारण गले में बार-बार खुजली होती है और खांसी आती है, वह भी छूट जाती है। आधा कप पानी में दो लौंग उबाल कर बच्चे को बार-बार पिलाएं। इससे ठंड की खांसी में फायदा होता है। अस्थमा एलर्जी के मरीज को ताजा हरी मिर्च का एक चम्मच रस प्रात: भूखे पेट शहद के साथ मिलाकर लगातार सात दिन तक देने से राहत मिलती है। यदि यह उपचार प्रारंभिक अवस्था में किया जाए तो यह समस्या स्थाई रूप से खत्म हो सकती है। यह उपचार ऋतु संधिकाल में ज्यादा उपयोगी है।