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कोरोना के खिलाफ जंग में दिन-रात जुटी वायुसेना, सिंगापुर से ऑक्सीजन कंटेनर लेकर लौटे फ्लाइट कमांडर ने बताया एयरफोर्स का मिशन

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कोरोना काल में देशवासियों के लिए भारतीय वायुसेना ‘संजीवनी’ रूपी ऑक्सीजन कंटनेर‌ एयरलिफ्ट करने में दिन-रात जुटी है. पिछले दो हफ्तों से वायुसेना के एयरक्राफ्ट्स देश-विदेश से क्रायोजैनिक ऑक्सीजन कंटनेर से लेकर सिलेंडर और दूसरे जरूरी मेडिकल उपकरण एयरलिफ्ट कर रहे हैं. वायुसेना के इन मिशन पर एबीपी न्यूज ने खास बात की है एक ऐसी ही उड़ान से ऑक्सीजन कंटेनर लेकर सिंगापुर से लौटे फ्लाइट कमांडर प्रशांत सिंह नेगी से.

विंग कमांडर प्रशांत सिंह नेगी एबीपी न्यूज़ से चंडीगढ़ से वर्चयुल माध्यम से जुड़े. इस दौरान उन्होंने बताया कि वे सिंगापुर से वायुसेना के मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट आईएल-76 से खाली क्रायोजैनिक ऑक्सजीन टैंकर और दूसरा कोविड रिलीफ मेडिकल उपकरण लेकर लौटे हैं. विंग कमांडर नेगी के मुताबिक, वे और एयरफोर्स के सभी वायु-यौद्धा इस मुश्किल घड़ी में दिन-रात यही कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह देश की जरूरतों को पूरा कर सकें.

आपको बता दें कि पिछले दो हफ्तों से वायुसेना के आईएल-76 एयरक्राफ्ट हो या फिर सी-17 ग्लोबमास्टर और सी130 जे सुपरहरक्युलिस जैसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट्स सिंगापुर, बैंकॉक, इंडोनिशिया, आस्ट्रेलिया और बेल्जियम जैसे मित्र-देशों से मदद लेकर भारत आ रहे हैं. वायुसेना के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में विदेशों से मदद के लिए 91 उड़ानें भरे चुके हैं और 86 कंटनेर (कुल क्षमता 710 मैट्रिक टन) लेकर भारत लौटे हैं.

इसके अलावा एक राज्य से दूसरे राज्य तक खाली कंटनेर पहुंचाने में भी वायुसेना जुटी हुई है. इससे ऑक्सजीन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में काफी समय बच रहा है. वायुसेना के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में कोरोना के खिलाफ जंग में 587 उड़ानें भरी गई हैं. इस दौरान 374 कंटनेर्ट को एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंचाने का काम वायुसेना के एयरक्राफ्टस कर रहे हैं. साथ ही वायुसेना के हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर्स भी मेडिकल उपकरण एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

विंग कमांडर नेगी ने एबीपी न्यूज को बताया कि इस कोरोना काल में उनपर दोहरी जिम्मेदारी है. पहली, ऑक्सीजन कंटनेर को तो लाना ले जाना है ही, साथ ही खुद को और अपने क्रू को भी कोरोना से सुरक्षित रखना है. इसके लिए वायुसेना के ऑफिसर, इंजीनियरिंग स्टाफ और दूसरा क्रू डूयटी खत्म होने के बाद भी अपने घर नहीं लौटता है. इसके लिए वायुसेना ने ‘बायो-बबल’ बनाए हैं. ताकि एक टीम के सदस्य एक ही जगह रहेंगे—ठीक वैसे ही जैसे वो किसी एयरक्राफ्ट की उड़ान के दौरान रहते हैं. घरवालों से मिलने तक की इजाजत नहीं है. फैमली से सोशल-मीडिया के जरिए ही संपर्क में रहते हैं.

वायुसेना के क्रू ने बताया कि थकान और मानसिक-तनाव ना हो. इसके लिए सभी एयर-वॉरियर्स योगा, एक्सरसाइज़ और दूसरी थेरेपी की मदद लेते हैं. क्योंकि ये महामारी देश के लिए किसी युद्ध से कम नहीं है, और वायुसेना मानवता के लिए ये जंग लड़ रही है. क्योंकि वायुसेना का हर काम देश के नाम है.

ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के पायलट, विंग कमांडर नेगी ने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि वायुसेना देश का ही हिस्सा है. इस लड़ाई में हम पूरे देश के साथ है. हम इसके खिलाफ लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम भरसक प्रयास करेंगे कि इस लड़ाई में कोरोना को हरा पाएंगे.