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Barclays की रिपोर्ट! रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करने के कम आसार, जानें वजह

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को पॉलिसी को लेकर संतुलन बनाने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. इंटरनेशनल बैंक बारक्लेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई को ग्रोथ की स्थिति पर स्‍पष्‍टता का इंतजार है. साथ ही वह बयानों और उम्मीद के जरिये महंगाई पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा है. बारक्लेज इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के मामलों की संख्या घट रही है. फिर भी आर्थिक वृद्धि की वापसी जल्द नहीं होगी.

आरबीआई के सामने मौजूदा हालात में यही सवाल खड़ा है कि पॉलिसी को लेकर उदार रवैया कब छोड़ना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रोथ के कमजोर पड़ने और महंगाई के बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक की ओर से पॉलिसी में बदलाव नहीं करने का रुख बरकरार रह सकता है. वह महंगाई पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की ओर से आपूर्ति को लेकर की जा रही कोशिशों पर निर्भर करेगा. बजोरिया का कहना है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के सामान्य होने में एक या दो तिमाही की देरी हुई है. इकोनॉमी के कोरोना से पहले की स्थिति में इस साल के अंत तक लौटने का अनुमान है.

रिजर्व बैंक को ग्रोथ के ट्रेंड को देखने के लिए इंतजार करना होगा. हालांकि, महंगाई को लेकर मुश्किल बढ़ सकती है. बारक्लेज ने इससे पहले RBI की पॉलिसी के सामान्य हालत में आने के लिए कुछ बिंदुओं की जानकारी दी थी. इनमें शॉर्ट-टर्म लिक्विडिटी में अस्थायी तौर पर कमी करना, नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) पर मोराटोरियम को वापस लेना, कैश रिजर्व रेशो को बढ़ाना, रिवर्स रेपो और रेपो रेट को बढ़ाना शामिल थे. इनमें से कुछ बिंदुओं को लागू किया जा चुका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्‍त वर्ष 2021-22 में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की उम्‍मीद नहीं है. रेपो रेट में अगले वित्‍त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि की जा सकती है.