Home खेल बोपन्ना और दिविज ओलंपिक में जगह बनाने से चूके

बोपन्ना और दिविज ओलंपिक में जगह बनाने से चूके

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तोक्यो ओलंपिक की टेनिस स्पर्धा में पदक की भारत की उम्मीदों को झटका लगा जब रोहन बोपन्ना और दिविज शरण पुरुष युगल के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहे। इसके साथ ही मिश्रित युगल में भी भारत की कोई जोड़ी नहीं होगी जहां देश के पास पदक जीतने का सर्वश्रेष्ठ मौका होता।

संभावना थी कि 113 की खराब संयुक्त रैंकिंग के बाद बोपन्ना (38) और बायें हाथ के खिलाड़ी दिविज (75) का ओलंपिक में जगह बनाना बड़े पैमाने पर खिलाडिय़ों के हटने पर निर्भर करता। अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के सूत्र ने बताया, ‘आईटीएफ (अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ) ने पुष्टि की है कि बोपन्ना और दिविज पुरुष युगल में टीम के रूप में प्रवेश नहीं कर सकते। हालांकि 16 जुलाई तक चीजों में बदलाव हो सकता है (अगर और अधिक खिलाड़ी हटते हैं तो)।’

संपर्क करने पर एआईटीए के महासचिव अनिल धूपर ने कहा कि प्रविष्टियों की पूरी सूची हाथ में आने के बाद ही वह स्पष्ट तौर पर कुछ कह पाएंगे। सूत्रों के अनुसार अगर कुछ खिलाड़ी हटते भी हैं तो भी 24 सीधे प्रवेश में से 22 टीमों के लिए कट 60 से 70 के बीच रहने की उम्मीद है। हालांकि अंतिम क्वालीफाइंग रैंकिंग की पुष्टि अभी नहीं की जा सकती। अगर और अधिक खिलाड़ी हटते हैं तो भी भारत की पुरुष युगल में टीम होने की संभावना बेहद कम है।

प्राथमिकता एकल रैंकिंग वाले खिलाडिय़ों को दी जाएगी, इसके बाद एकल-युगल संयोजन और फिर युगल-युगल रैंकिंग संयोजन को जगह मिलेगी। काफी शीर्ष खिलाड़ी एकल ड्रॉ का हिस्सा नहीं है और युगल में भी लगातार खेलने वाले कम रैंकिंग वाले खिलाड़ी ओलंपिक में दो स्पर्धाओं में खेलने के मौके से नहीं चूकना चाहेंगे। प्रत्येक खिलाड़ी को दो स्पर्धाओं में हिस्सा लेने की स्वीकृति है।

नियमों के अनुसार वही खिलाड़ी मिश्रित टीम स्पर्धा का हिस्सा हो सकते हैं जिन्होंने पहले ही किसी मुख्य ड्रॉ (एकल या युगल) में जगह बनाई हो। बोपन्ना को अगर महिला युगल में सानिया मिर्जा के साथ जोड़ी बनानी है तो उनके लिए पुरुष युगल में जगह बनाना अनिवार्य है। सानिया मिर्जा चौथी बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगी। वह महिला युगल में अंकिता रैना के साथ जोड़ी बना रही हैं।

सानिया और बोपन्ना 2016 में कांस्य पदक जीतने के करीब पहुंचे थे लेकिन कांस्य पदक के प्ले आफ मुकाबले में चेक गणराज्य के राडेक स्टेपनेक और लूसी हरादेका की जोड़ी के खिलाफ सीधे सेटों में हार गए। कोविड-19 महामारी के कारण कम टूर्नामेंटों के आयोजन से भारतीय खिलाडिय़ों को अपनी रैंकिंग में सुधार करने के अधिक मौके नहीं मिले। साल की शुरुआत में बोपन्ना की रैंकिंग 38वीं थी जबकि दिविज 63वें स्थान पर थे।

लिएंडर पेस और रमेश कृष्णन के बार्सीलोना में 1992 खेलों में हिस्सा लेने के बाद से हर बार भारत की पुरुष युगल जोड़ी ओलंपिक का हिस्सा थी। पेस इसके बाद काफी समय तक महेश भूपति के साथ खेले। पेस और बोपन्ना रियो ओलंपिक 2016 में उतरे लेकिन यह जोड़ी पहले ही दौर में हार गई।