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मॉस्को के ‘शैंपेन’ को रूस का बताने के बाद, फ्रांस की कम्पनी ने बंद किया निर्यात

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मॉस्को, शराब के अधिकतर शौकीनों की मानें तो बुलबुलों वाली शानदार वाइन को ‘शैंपेन’ तभी कहा जा सकता है, जब वह फ्रांस के उसी नाम वाले क्षेत्र से हो और कुछ तय नियमों का पालन करते हुए बनाई गई हो। हालांकि एक नया रूसी कानून इसके उलट दावा करते हुए कहता है कि इस शब्द का उपयोग केवल रूसी वाइन के लिए किया जा सकता है।

कानून को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जिसके बाद मशहूर वाइन निर्माता ‘मोएट-हेनेसी’ ने सोमवार को कहा कि वह रूस को अपनी ‘शैंपेन’ भेजना बंद कर रहा है। शुक्रवार को अमल में लाए गए इस कानून के तहत इसका इस्तेमाल सिर्फ ‘रूसी शैंपेन’ के लिये किया जा सकता है।

सोवियत काल से, इस ‘शैंपेन’ को रूसी भाषा में “शैम्पेनस्कॉय”, शानदार वाइन कहा जाता है। वहीं, ऐसे भी मामले हैं, जहां कुछ ‘शैंपेन’ के कीमती होने की छवि के विपरीत 150 रूबल (दो अमेरिकी डॉलर) में एक बोतल बेच रहे हैं।

सरकरी समाचार एजेंसी ‘आरआईए-नोवोस्ती’ के अनुसार, ‘मोएट-हेनेसी’ की प्रवक्ता एनी कैथरिन ग्रीमल ने कहा, ” इन प्रावधानों के कारण इस नए कानून के प्रभाव का आकलन करने के लिए उत्पादों के वितरण को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।”

वहीं, रूस के एक बड़े वाइन निर्माता का भी मानना है कि कानून उचित नहीं है।

‘आरआईए-नोवोस्ती’ के अनुसार, ‘अब्राउ-द्यूर्सो’ के अध्यक्ष पावेल टिटोव ने कहा, ” मेरे लिए, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि असली ‘शैंपेन’ फ्रांस के शैंपेन क्षेत्र से ही आती है। हमारे बाजार में रूसी वाइन की रक्षा करना और उन्हें व्यापक संरक्षण प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन किए गए विधायी उपाय उचित होने चाहिए और तथ्यों के विपरीत नहीं होने चाहिए।