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बेअदबी मामलाः पंजाब चुनाव से पहले फरीदकोट में कांग्रेस और कैप्टन के खिलाफ बढ़ रहा आक्रोश

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फरीदकोट. 72 वर्षीय मोहिंदर सिंह की आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है, जब वे अपने बेटे के बारे में बात करते हैं. उनके बेटे का नाम, कृष्ण भगवान था, जिनकी 2015 में फरीदकोट के बहबल कलां (Faridkot’s Behbal Kalan) में पुलिस फायरिंग में मौत हो गई. मोहिंदर कहते हैं, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) यहां आए और मुझसे कहा कि उनके मुख्यमंत्री बनने के दो महीने के भीतर न्याय होगा. लेकिन वह दोबारा नहीं आए और ना ही अपना वादा निभाया.’ 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने पंजाब के लोगों से वादा किया था कि सिखों के पवित्र किताब गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) की चोरी और बेअदबी के मामले में न्याय होगा और 2015 की पुलिस फायरिंग में मारे गए दो स्थानीय प्रदर्शनकारियों की मौत की भी जांच होगी. ये सारी घटनाएं फरीदकोट के गांवों के 10 किलोमीटर के दायरे में हुई थीं, हालांकि आज की तारीख में फरीदकोट के स्थानीय लोगों में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कांग्रेस सरकार के खिलाफ वादा पूरा ना करने के चलते आक्रोश का माहौल है.

बहबल खुर्द गांव में मोहिंदर सिंह ने न्यूज18 से कहा, “यहां लोगों के बीच एक मुहावरा चल रहा है कि कैप्टन और बादल के बीच सांठ गांठ है. 2015 के बाद से लोग देख रहे हैं कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम और जांच आयोग अपनी रिपोर्ट देने में असफल रहे हैं. फायरिंग की घटना के समय बादल सत्ता में थे. घटना के लिए वे जिम्मेदार हैं. कैप्टन साढ़े चार साल सत्ता में रहे, लेकिन बादल खुल्ला घूम रहे हैं.”

इस साल मई महीने में दो अलग-अलग एसआईटी का गठन किया गया. एक आईजी नौनिहाल सिंह की अगुवाई में, जिन्हें बहबल कलां फायरिंग मामले की जांच सौंपी गई, जिसमें कृष्ण भगवान और गुरजीत सिंह की मौत हो गई थीं. दूसरी एसआईटी की जिम्मेदारी एडीजीपी एलके यादव को दी गई है. यादव को कोटकापुरा कस्बे में हुई पुलिस फायरिंग की जांच करनी है, जिसमें कई सारे लोग घायल हो गए थे. एलके यादव की अगुवाई वाली एसआईटी ने हाल ही में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल से पूछताछ की है. मोहिंदर सिंह ने कहा, “लेकिन हमने आईजी नौनिहाल सिंह की अगुवाई वाली एसआईटी के बारे में कुछ नहीं सुना. हम इस एसआईटी के साथ काम नहीं करना चाहते. हमें कोई उम्मीद नहीं है.”

सिंह के पोते और कृष्ण भगवान के बेटे प्रभदीप सिंह ने कहा, “लोगों को डर है कि नई एसआईटी केवल पुलिस अधिकारियों (तत्कालीन जीडीपी सुमेध सिंह सैनी) को दोषी ठहराएगी और बादलों को छोड़ देगी.” उन्होंने कहा, “इससे पहले गठित की गई एसआईटी सही काम कर रही थी, जिसकी अगुवाई अब आम आदमी पार्टी के नेता बन चुके कुंवर प्रताप सिंह कर रहे थे.” प्रभदीप कहते हैं, “2015 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हमारे घर आए थे. कांग्रेस नेता बादल के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, लेकिन कैप्टन ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है. क्यों?”

‘गुरुद्वारों में भी, सहजता नहीं’
ग्रंथी गोरा सिंह को अब भी सब कुछ बारीकी से याद है. 1 जून 2015 को बुर्ग जवाहर सिंह वाला गांव स्थित गोरा सिंह के गुरुद्वारे से ही सारा घटनाक्रम शुरू हुआ था. दोपहर के डेढ़ बजे के करीब किसी ने गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की सरूप (पवित्र किताब) चुरा ली. गोरा सिंह ने मामले में एफआईआर दर्ज कराई. 29 जून को गुरुद्वारे की दीवारों पर आपत्तिजनक पोस्टर चिपका दिए गए. इसी साल 10 अक्टूबर को पवित्र किताब के फटे हुए कुछ पन्ने बर्गरी गांव स्थित गुरुद्वारे के पास से मिले, जो बुर्ग जवाहर सिंह वाला गांव से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

‘पुलिस पता लगाए कहीं बड़ी साजिश तो नहीं’
इन मामलों की जांच के लिए पिछले महीने आईजी सुरिंदर परमार के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया, जिसने डेरा सच्चा सौदा के 6 लोगों को गिरफ्तार कर मामले में कामयाबी मिलने का दावा किया. गोरा सिंह ने न्यूज18 से कहा, “मैं यही था, जब पुलिस वाले जांच के लिए उन्हें यहां लेकर आए और बाद में उन्हें सिख वाला गांव लेकर गए जहां आरोपियों ने पवित्र किताब को चुराने के बाद छुपा दिया था. उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया है.” उन्होंने कहा कि पुलिस को अब यह पता लगाना चाहिए कि “क्या इसमें कोई बड़ी साजिश थी.”

गोरा सिंह और उनकी पत्नी इससे पहले सीबीआई के सामने लाई डिटेक्टर टेस्ट के लिए पेश हो चुके हैं और कई बार फरीदकोट जाकर जांच आयोग और एसआईटी के सामने अपना बयान दे चुके हैं. सिंह ने कहा, “लोगों में आक्रोश है, क्योंकि उन्हें लगता है कि असली मास्टरमाइंड अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं. हां, छह लोग अभी तक गिरफ्तार किए गए हैं, लेकिन हमें तभी विश्वास होगा, जब कोर्ट उन्हें अपराधी ठहराएगा.” उन्होंने कहा कि मामले में किस तरह कथित मास्टरमाइंड कहे जाने वाले डेरा सच्चा सौदा के समर्थक महिंदरपाल बिट्टू की 2019 में जेल में हत्या कर दी गई थी.

बादल के खिलाफ प्रदर्शन तेज
मामले की पहले जांच कर रही सीबीआई टीम ने पंजाब पुलिस द्वारा पिछले सालों में गिरफ्तार किए गए आरोपियों के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, गुरु ग्रंथ साहिब के सरूप के फटे हुए पन्ने बरगरी गुरुद्वारे के पास मिले थे, लेकिन यहां के सिखों को सरकार की नई दलील पर भरोसा नहीं है. शिरोमणि दल से अलग शिरोमणि अकाली दल-मान का गठन करने वाले सिमरनजीत मान का गुट 1 जुलाई से ही प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल के गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है. मान गुट के जिला प्रमुख गुरदीप सिंह ने कहा, “2017 में सिखों ने कांग्रेस का समर्थन किया, क्योंकि उन्होंने पुलिस फायरिंग और बेअदबी मामले में न्याय का वादा किया था. लेकिन, अब लोग 2022 के चुनावों में कांग्रेस को सबक सिखाएंगे.”

‘हाईकोर्ट ने कहा था, राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं’
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री बेअदबी और पुलिस फायरिंग केस पर चुप्पी साधे रहे, क्योंकि हाईकोर्ट ने कहा था कि एसआईटी जांच में किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. नाम न छापने की शर्त पर वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि सभी एसआईटी अपनी जांच अगस्त तक पूरी कर लेंगी और मामले में पीड़ित लोगों को 6 साल बाद न्याय मिल सकेगा.” हालांकि कांग्रेस पार्टी इस मामले पर विभाजित है. कांग्रेस लीडर नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में कोटकापुरा और बरगरी का दौरा किया था और मामले में कार्रवाई ना होने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की थी.

‘कार्रवाई नहीं हुई तो लोग गांवों में घुसने नहीं देंगे’
न्यूज18 से कांग्रेस के एक स्थानीय विधायक ने कहा, “समय निकलता जा रहा है और लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है. हमें चुनाव प्रचार में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और अगर कार्रवाई ना हुई तो लोग हमें गांवों में भी नहीं घुसने देंगे.” उन्होंने कहा कि फरीदकोट में आम आदमी पार्टी को फायदा मिल सकता है. बता दें कि आम आदमी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में फरीदकोट में जीत हासिल की थी और 2017 के विधानसभा चुनावों में फरीदकोट जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर कब्जा जमाया था.

कुछ स्थानीय लोग इस बार आम आदमी पार्टी को मौका देने की बात करते हैं, उनका कहना है कि वे अकाली दल और कांग्रेस को वोट नहीं देंगे. स्थानीय लोगों के एक समूह ने कहा, “सिखों को न्याय दिलाने के लिए कुंवर विजय प्रताप सिंह की एसआईटी अच्छा काम कर रही थी, उन्होंने भी इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर ली.”