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पंजाब के बाद अब कांग्रेस का लक्ष्य है राजस्थान में सियासी तूफान को थामना

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कांग्रेस पार्टी पंजाब में सियासी बवाल को सुलझाने के बाद अपनी राजस्थान इकाई की समस्याओं पर ध्यान दे रही है। पार्टी नेतृत्व ने पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल (संगठन) प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन को राज्य में भेजा है जो सभी गुटों से मुलाकात कर वहां पार्टी के संकट का समाधान करने के लिए जयपुर पहुंच चुके हैं।

राजस्थान जाने से पहले वेणुगोपाल ने कहा, मैं राज्य से सांसद हूं किसी सरकारी काम से जा रहा हूं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वेणुगोपाल माकन ने जयपुर रवाना होने से पहले राहुल गांधी से मुलाकात की राजस्थान के मामलों पर चर्चा की।

सचिन पायलट की बगावत के एक साल बाद भी ज्यादा कुछ नहीं बदला है। इससे परेशान होकर सचिन पालयट ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता में कहा था कि जिन कार्यकतार्ओं ने पार्टी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया, चौबीसों घंटे काम किया, इसके बावजूद उन पर लाठीचार्ज किया गया। अगल कोई बेहतर पोस्ट नहीं मिलता है तो कम से कम उनका सम्मान तो किया जाना चाहिए। हमारे वर्तमान अध्यक्ष यही कहते हैं, हम भी यही कहते हैं। वास्तव में , हर कोई ऐसा ही कहता है।

उन्होने कहा,आने वाले विधानसभा चुनावों में, हम वोट हासिल करेंगे। हमने आलाकमान को अपनी राय बतला दी है। एआईसीसी ने हमारे सुझावों को सुना, एक समिति बनाई, इस समिति ने बैठकें भी बुलाईं। सभी निर्णय जल्द ही लिए जाएंगे।

उन्होने कहा, , कांग्रेस अब एक-एक करके हर राज्य में मुद्दों को सुलझाने की कोशिश कर रही है राज्यों में अपने नेताओं को चर्चा के लिए दिल्ली बुला रही है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार बोडरें निगमों में नियुक्तियों में देरी कर रहे हैं, जो कांग्रेस नेतृत्व के साथ अच्छा नहीं है।

अजय माकन ने राजनीतिक नियुक्तियों कैबिनेट विस्तार की समय सीमा तक कर दी है, लेकिन गहलोत सरकार ने राज्य विधानसभा के बजट सत्र कोविड -19 प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए तर्क दिया है कि समय सीमा के भीतर यह करना संभव नहीं है।

माकन इन दोनों खेमों गहलोत सचिन पायलट – के बीच गतिरोध को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनके फॉर्मूले को मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया है। नतीजतन, कांग्रेस पार्टी नेतृत्व के निदेशरें को लागू नहीं किया जा सका। हालांकि इस बार कांग्रेस इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाना चाहती है।