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1 अप्रैल से बंद हो रही मोदी सरकार की ब्याज सब्सिडी स्कीम, तुरंत मंजूर करवाएं होम लोन

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 प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत होम लोन के ब्याज (Interest Subsidy on Home Loan) पर मिलने वाली छूट 31 मार्च 2022 को बंद हो रही है. यानी यदि आप भी मकान खरीदना चाहते हैं तो इससे पहले होम लोन मंजूर करवा लें.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) द्वारा संसद में पेश किए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में योजना के लिए राशि का प्रावधान नहीं रखा है. इसके चलते एक अप्रैल से नए होम लोन पर ब्याज सब्सिडी (Interest Subsidy) का प्रावधान खत्म हो जाएगी. अभी सब्सिडी के तहत 2.67 लाख रुपए मिलते हैं. हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्थानीय सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वीकृत मकानों पर डायरेक्ट बेनीफिट की स्कीम जारी रहेगी.

अब केंद्र सरकार सिर्फ इन्हें फायदा देगी

पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) की एलिजिबिलिटी तय करने का अधिकार स्थानीय एजेंसियों यानी ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत और शहरी क्षेत्रों में नगरीय निकाय को दिया गया है. अब जो लोग आवास से वंचित है, उनकी सूची तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी. ऐसे लोगों को स्थानीय निकाय रियायती दरों पर आवास बनाकर देंगे. इन या फिर जिन कमजोर व निम्न वर्ग के पास (EWS-LIG) प्लॉट है, उन्हें मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रुपए तक की मदद दी जाएगी. इस मदद के लिए मार्च 2023 की डेडलाइन है.

इन शर्तों के तहत तय होती है आपकी एलिजिबिलिटी

आवेदक या उसके परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर भारत में कहीं भी कोई पक्का घर नहीं होना चाहिए. परिवार के किसी भी सदस्य ने पहले सरकार द्वारा शुरू की गई किसी भी हाउसिंग स्कीम का लाभ न लिया हो. मैरिड कपल हैं तो सिंगल और ज्वॉइंट स्वामित्व दोनों की अनुमति है. लेकिन दोनों विकल्पों के लिए 1 सब्सिडी ही मिलेगी. इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS), लोअर इनकम ग्रुप (LIG) और मिडिल इनकम ग्रुप CLSS के लिए पात्र हैं. इसके लिए सालाना 18 लाख रुपए से ज्यादा आय नहीं होनी चाहिए.

मध्य प्रदेश में बड़े शहरों में प्लॉट पर मकान बनानेे के लिए रियायत नहीं 

मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में राज्य सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट की स्कीम को लागू नहीं किया है. यानी यहां पर यदि कोई प्लॉट पर घर बनाता है तो उसे 2.50 लाख रुपए नहीं दिए जाते हैं. जबकि इन शहरों के अलावा दूसरे शहर और गांव में यह राशि दी जाती है. इसके चलते भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में नगर निगम द्वारा बनाए जा रहे फ्लैट्स का एकमात्र विकल्प बचता है.