Home विदेश एस्टाजेनेका वैक्सीन का बूस्टर डोज गंभीर बीमारी में अधिक कारगर: स्टडी

एस्टाजेनेका वैक्सीन का बूस्टर डोज गंभीर बीमारी में अधिक कारगर: स्टडी

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दुनिया में एक बार फिर से कोरोना वायरस फैल रहा है. भारत में वैक्सीनेशन और टेस्टिंग पर फिर से तेजी दिखाई जा रही है. इस बीच एक स्टडी में कहा गया है कि कोरोना वायरस की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तीसरी खुराक लक्षण वाली बीमारियों पर अधिक कारगर है. इसकी खुराक लेने वाले व्यक्ति को संक्रमित होने की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की कम जरूरत पड़ती है. यह फाइजर की एहतियाती खुराक की तुलना में अधिक सुरक्षा प्रदान करती है.

एक मई को प्रीप्रिंट रिपॉजिटरी मेडरक्सिव पर पोस्ट की गई स्टडी में एस्ट्राजेनेका (सीएचएडीओएक्स1-एस) कोविड-19 टीके की बूस्टर खुराक की प्रभावशीलता का आकलन किया गया, और इसकी तुलना फाइजर (बीएनटी162बी2) बूस्टर खुराक से मिलने वाली सुरक्षा से की गई.

ब्रिटेन स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी, लंदन के रिसर्चर्स ने 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वयस्कों के डेटा का विश्लेषण करके टीके की प्रभावशीलता का अनुमान लगाया, जिन्हें एस्ट्राजेनेका प्राथमिक टीका और या तो वहीं या फाइजर बूस्टर टीके की खुराक लगायी गई थी.

कुल 43,171 व्यक्तियों को एस्ट्राजेनेका बूस्टर खुराक दी गई थी, जबकि 13,038,908 व्यक्तियों को फाइजर बूस्टर खुराक दी गई थी. इसके आकलन से पता चला कि एस्ट्राजेनेका के प्राथमिक टीका लेने के 25 या अधिक हफ्तों के बाद, ओमिक्रॉन के संक्रमण होने के बाद लक्षण वाली बीमारी के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता 40 से 64 वर्ष और 65 वर्ष और 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में क्रमशः 8.0 प्रतिशत और 19.5 प्रतिशत थी.

इसके अनुसार एस्ट्राजेनेका बूस्टर खुराक लेने के एक सप्ताह बाद, 40 से 64 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में लक्षण वाले संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता 61.2 प्रतिशत थी, जबकि फाइजर बूस्टर खुराक लेने वालों में
समान आयु वर्ग के लिए 58.2 प्रतिशत थी.

बता दें कि यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाई है. ब्रिटेन ने सबसे पहले इस वैक्सीन को अप्रूव किया था. शुरुआती नतीजों में 70 प्रतिशत तक इफेक्टिव माना था और इसी को अप्रूवल का आधार बताया था. अब तक 50 से ज्यादा देशों में इसे अप्रूवल मिल चुका है. ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में हुए रिसर्च में यह सेफ और इफेक्टिव साबित हुई है. भारत में ये वैक्सीन कोविशिल्ड के नाम से दी जा रही है.

हालांकि, वैक्सीन से जुड़े डेटा को लेकर जरूर थोड़ा विवाद रहा. इसी वजह से फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर सवाल उठाए हैं.