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ताइवान पर ड्रैगन फिर हुआ लाल, चीनी रक्षा मंत्री की अमेरिका से दो-टूक

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ताइवान को लेकर चीन ने एक बार फिर अमेरिका के सामने अपना रवैया स्पष्ट कर दिया है। चीन ने कहा है कि ताइवान पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला है। चीन के विदेश मंत्री वी फेंगे ने मंगलवार को अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के सामने यह बात रखी।

इस दौरान चीन ने अमेरिका को यह भी बता दिया कि वह ताइवान पर किसी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं, अमेरिकी विदेश सचिव की तरफ से जवाब में कहा गया है कि आगे से अमेरिका ताइवान को अस्थिर करने वाले गतिविधियों को रोकेगा। दोनों के बीच यह बातें कंबोडिया में आसियान देशों के रक्षामंत्रियों की मीटिंग से इतर बातचीत के दौरान हुईं।

पेलोसी के दौरे के बाद पहली बार
अगस्त में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद यह पहला मौका था जब दोनों देशों के मंत्रियों की किसी मंच पर मुलाकात हुई है। इस दौरान चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि ताइवान का मामला पूरी तरह से चीन के लोगों का है। किसी भी बाहरी ताकत को इस पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि पेलोसी के ताइवान दौरे पर चीन आग बबूला हो उठा था। उसने इसे चीनी क्षेत्र में बाहरी दखलअंदाजी बताया था।गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी प्रेसीडेंट जो बाइडेन के बीच करीब तीन घंटे तक मीटिंग चली थी।

ताकत के इस्तेमाल की भी बात
चीन की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक वी ने कहा कि ताइवान चीन का बेहद आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि सीनो-यूएस रिलेशंस में यह सबसे कठिन रेडलाइन है। वी ने लॉयड से कहा कि ताइवान चीन का है ताइवान के मसलों को हल करना पूरी तरह से चीन की जिम्मेदारी है। इस मामले में किसी भी बाहरी ताकत को दखल देने की कोई जरूरत नहीं है। चीनी मंत्री ने कहा कि चीन के सैन्य बलों के पास हिम्मत, ताकत और योग्यता है। वह अपनी धरती के एकीकरण का दम रखते हैं। वी ने यह भी इशारा किया कि अगर जरूरत पड़ी तो ताकत के बल पर इस आइलैंड को मुख्य देश से मिला दिया जाएगा। इस मीटिंग के दौरान दोनों देशों के मंत्रियों ने कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की। इसमें रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर भी चर्चा हुई। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि अमेरिका और चीन दोनों देश यूक्रेन के लोगों को परमाणु हथियारों से धमकी देने का विरोध करते हैं।

अमेरिका ने दोहराई वन चाइना पॉलिसी
दूसरी तरफ अमेरिकी रक्षा सचिव ने इस दौरान वॉशिंगटन के वन चाइना पॉलिसी की बात दोहराई। ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बात कही। ऑस्टिन ने यथास्थिति में एकतरफा बदलावों के अपने विरोध को रेखांकित किया। साथ ही पीआरसी से ताइवान के प्रति आगे अस्थिर करने वाली कार्रवाइयों से बचने की बात भी कही। इसके अलावा लॉयड ने इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में चीन की सेना की बढ़ती दखलअंदाजी पर अमेरिका की चिंता के बारे में भी बताया। अमेरिका द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ऑस्टिन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी सैन्य विमानों की खतरनाक गतिविधियों पर चिंता जताई है। इसके चलते इस क्षेत्र में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। अमेरिका ने यह भी कहा है कि वह उन सभी क्षेत्रों में उड़ान भरना, समु्द्री जहाजों को भेजना और अन्य गतिविधियां जारी रखेगा, जहां तक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी इजाजत देते हैं।