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MCD Election Results 2022: जीतने वाले दल की महिला पार्षद होगी पहली महापौर

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दिल्ली नगर निगम के चुनाव के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे भाजपा, आप, कांग्रेस व अन्य उम्मीदवारों के दावेदारी का फैसला बुधवार को हो जाएगा। मतगणना परिणाम के बाद जिस पार्टी को बहुमत मिलेगा, उसी की 5 साल के लिए निगम में सत्ता होगी। निगम में सर्वप्रथम सभी पार्षदों का शपथग्रहण होगा, इसके बाद सभी 250 पार्षद महापौर व उपमहापौर का चुनाव करेंगे। गौरतलब है कि निगम के एकीकरण के बाद अब पूरी दिल्ली के लिए एक ही महापौर होगा। इस कारण इस बार महापौर के ऊपर जिम्मेदारी ज्यादा होगी, वहीं यह पद अब पहले से ज्यादा पावरफुल होगी। यह तो तय है कि जिस दल को बहुमत होगा, महापौर भी उसी का होगा। सत्ताधारी पार्टी की ओर से महापौर पद के लिए नाम पहले से तय कर लिया जाता है, लेकिन संवैधानिक रूप से महापौर के चुनाव के लिए निगम सदन में पार्षदों द्वारा वोट डाले जाते हैं। इधर नियमानुसार अनुसार प्रत्येक वर्ष महापौर का चुनाव होता है। पहले साल महापौर पद महिला पार्षद के लिए व तीसरा साल दलित वर्ग के लिए आरक्षित होती है। इस बीच तीन साल कोई भी अलग-अलग व्यक्ति महापौर पद पर पार्षदों के वोट आसीन हो सकता है। दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष अप्रैल में होने वाली पहली बैठक में महापौर और उपमहापौर का चुनाव होता है। चूंकि इस बार चुनाव दिसंबर में हुए हैं, ऐसे में बहुमत लेकर आने वाले दल पर निर्भर करेगा कि वह सदन की बैठक कब बुलाता है। सदन की पहली बैठक बुलाए जाने पर महापौर के चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जाएगी, जिसमें पहले महापौर पद के लिए नामांकन होगा। जबतक तक महापौर का चुनाव नहीं हो जाता तबतक उपराज्यपाल की ओर से एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी और वही निगम सदन का संचालन करेंगे। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के तीनों निगमों के एकीकरण के बाद 22 मई, 2022 से विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार महापौर की शक्तियों का प्रयोग करते हुए कार्य कर रहे हैं। ऐसे में जब तक सदन की बैठक नहीं हो जाती, वह कार्य करते रहेंगे। यानी, जिस दिन बैठक होगी, उसके एक दिन पहले तक वह कार्य करते रहेंगे। निगम में सदन सर्वोच्च है। बहुमत से सदन जो भी निर्णय लेता है, उसे नियमानुसार निगम अधिकारियों को लागू करना होता है। हालांकि, निगम के अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर स्थानांतरण का अधिकार निगमायुक्त के पास हैं, लेकिन प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार सदन के पास है। प्रतिनियुक्त पर आए अधिकारी की नियुक्ति के लिए निगम को सदन से मंजूरी लेनी होती है। वहीं, पांच करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को स्वयं निगमायुक्त मंजूरी दे सकते हैं। इससे अधिक की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सदन की मंजूरी आवश्यक है। अब भाजपा, आप व कांग्रेस तीनों ही दल निगम की सत्ता में आने का दावा कर रही है।

सिविक सेंटर में नेताओं के कार्यालय खोलने के लिए तैयारी शुरू

दिल्ली नगर निगम प्रशासन ने पूर्व के उत्तरी व दक्षिणी दिल्ली नगर निगम मुख्यालय 28 मंजिला इमारत सिविक सेंटर में महापौर, उपमहापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष तथा अन्य तदर्थ व विशेष समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर आसीन होने वाले पार्षदों को कार्यालय आबंटित करने के तैयारी शुरू कर दी है। पिछले 8 महीने से बंद नेताओं के कार्यालयों को खोलने के लिए उनकी सफाई, रंग-रोगन तथा अन्य सौंदर्यीकरण कार्य शुरू कर दिया गया है। सिविक सेंटर के ए विंग में तीसरी मंजिल पर स्थित महापौर कार्यालय में पहले उत्तरी निगम के पूर्व महापौर बैठते थे, उनके हटने के बाद इस कार्यालय को नियुक्त किए गए विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार को आबंटित कर दिया गया क्योंकि उनका पद महापौर के समकक्ष है इसलिए उन्हें यह कार्यालय दिया गया। अन्य सभी कार्यालय बंद कर दिए गए तथा कुछ कार्यालय जो पहले विपक्षी पार्टियों के थे, उसमें कुछ अधिकारियों के कार्यालय बना दिए गए। क्योंकि निगम के नेताओं के कार्यालय ए विंग में ही हैं। इस कारण उन्हें इन्हीं कार्यालयों को आबंटित किया जाएगा। इसके अलावा नेताओं के कार्यालय में तैनात पर्सनल सहायक (पीए), प्यून तथा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। निगम भंग होने के बाद नेताओं के उपरोक्त सहायकों को दूसरे विभागों या फिन निगम सचिव कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।