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Delhi में ‘डबल इंजन सरकार’ के बावजूद आसान नहीं ‘AAP’ की राह, सामने आई बड़ी वजह

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Delhi में ‘डबल इंजन सरकार’ के बावजूद आसान नहीं ‘AAP’ की राह, सामने आई बड़ी वजह

Delhi News: आप’ (AAP) के पूरे अभियान की रणनीति दिल्ली को कचरे के 3 पहाड़ों से छुटकारा दिलाने और एमसीडी (MCD) को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने पर केंद्रित थी.

दिल्ली के लोगों ने स्वच्छता/भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आप को जनादेश दिया है. ऐसे में डबल इंजन की सरकार के सामने चुनौतियां भी डबल हो गई हैं.

Written ByShwetank Ratnamber|Last Updated: Dec 11, 2022, 02:18 PM IST

Delhi MCD Result Analysis: दिल्ली (Delhi) के लोगों ने इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) को सबसे बड़े शहरी नागरिक निकाय दिल्ली नगर निगम (MCD) को चलाने के लिए बड़ा स्पष्ट जनादेश दिया है. चूंकि 10 साल पहले पार्टी की स्थापना के बाद से ‘आप’ निगम में सत्ता में नहीं रही है, इसलिए एमसीडी चलाना उनके लिए आसान नहीं होगा.

डबल इंजन सरकार की दोहरी चुनौती

‘आप’ के पूरे अभियान की रणनीति दिल्ली को कचरे के तीन पहाड़ों से छुटकारा दिलाने और एमसीडी को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने पर केंद्रित थी. जैसा कि परिणाम दिखाते हैं, दिल्ली के लोगों ने स्वच्छता और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आप को जनादेश दिया. एमसीडी पर पिछले 15 साल से भारतीय जनता पार्टी का शासन था और इस अभियान में भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रमुखता से गूंजा था.

12 क्षेत्रों में बंटवारा

नतीजों में आप को 134 वार्ड मिले, जबकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी (BJP) को 104 वार्ड मिले. कांग्रेस ने कुल 250 वाडरें में से 9 सीटों पर जीत हासिल की. स्पष्ट बहुमत के साथ आप बीजेपी से एमसीडी की बागडोर अपने हाथ में लेने के लिए पूरी तरह तैयार है. MCD के पुन:एकीकरण के बाद सुचारू रूप से कार्य करने के लिए इसे 12 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है.

कुल 12 जोन में से 7 जोन पर AAP का कंट्रोल होगा, जबकि 4 जोन पर BJP का और एक जोन में कांग्रेस के पार्षदों की अहम भूमिका होगी. एक जोन वार्ड समिति द्वारा शासित होता है, जो बाद में स्थायी समिति के लिए सदस्यों का चुनाव करती है. इस समिति की निगम के प्रशासनिक और वित्तीय निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

चुनौतियां भी कम नहीं

आप शासित एमसीडी को प्रचार के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि बीजेपी के पार्षद भी बहुमत के करीब हैं. ऐसे में उनके लिए ये काम आसान नहीं होगा.

आप के लिए दूसरी चुनौती एमसीडी के लिए मेयर का चयन है. जैसा कि मेयर का चुनाव वित्तीय वर्ष की पहली बैठक में ज्यादातर अप्रैल में होता है, आप को यह सोचने की जरूरत है कि क्या वो वित्तीय वर्ष के शेष 3 महीनों के लिए महापौर का चुनाव करेगी या अगले वित्तीय वर्ष की शुरूआत का इंतजार करेगी.

मार्च में होने वाले एमसीडी चुनाव में 3 एमसीडी के एकीकरण के कारण आठ महीने की देरी हुई थी. अगर ‘AAP’ अब मेयर चुनने का फैसला करती है तो पार्टी की पहली बैठक का कार्यक्रम बदलने और अप्रैल से दिसंबर तक मेयर की नियुक्ति के लिए पार्टी को केंद्र से संपर्क करना होगा.

वित्तीय सहायता का मुद्दा उठेगा

चूंकि दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच फंड की कमी को लेकर हमेशा आमना-सामना रहा है, इसलिए केंद्र में बीजेपी और आप के बीच वित्तीय सहायता का मुद्दा भी उठ सकता है. प्रचार अभियान के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर पिछले निकाय चुनाव में झूठा वादा करने का आरोप लगाया था कि उसे सीधे केंद्र से पैसा मिलेगा. केजरीवाल ने दावा किया था कि बीते 5 सालों में एक रुपया भी नहीं मिला है.