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दुनिया के सबसे खतरनाक भूकंपों में से एक क्यों कहा जा रहा तुर्कीवाला?

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तुर्की में आए भूकंप ने तीव्रता के मामले में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं. बड़े-बड़े शहर खंडहर में तब्दील हो गए. अब तक 4 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. हजारों घायल हैं और न जाने कितने मलबे में दबे हैं. संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. तुर्की और सीरिया में आए भूकंप का केंद्र गाजियांटेप रहा है. यह तुर्की का एक बड़ा शहर है. सबसे ज्यादा नुकसान इसी के आसपास के 10 बड़े शहरों में हुआ.

तुर्की में आई इस तबाही को दुनिया के सबसे विनाशकारी भूकंपों में गिना जा रहा है. जो तुर्की को दशकों पीछे छोड़ने का काम करेगा. कई बार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ चुके तुर्की के लिए इससे उबरना आसान नहीं होगा.तुर्की के भूकंप को सबसे खतरनाक क्यों बताया जा रहा, जानिए इसकी 5 बड़ी वजह.

1- देश के इतिहास में सबसे ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप

तुर्की में आई तबाही को गंभीर भूकंप की श्रेणी में शामिल किया गया है. इस भूकंप की तीव्रता 7.8 थी. भूकंप ने फॉल्ट लाइन के 100 किलोमीटर के दायरे में सबसे ज्यादा असर दिखाया. नतीजा, कई शहरों में तबाही मची. इमारतें ढह गईं. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि तुर्की में यह कोई पहला भूकंप है. इससे पहले 1999 में भी 7.4 की तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें 17,000 लोगों की मौत हो गई थी. अकेले इंस्तांबुल में 1,000 लोग मरे थे. इसके अलावा 1939 में तुर्की के शहर गाजियांटेप में आया भूकंप 7.7 तीव्रता का था, लेकिन हाल में आया भूकंप सबसे ज्यादा तीव्रता वाला है. नुकसान का दायरा बढ़ता जा रहा है.

2- फॉल्टलाइन में दबाव, 24 घंटे में 4 बार आया भूकंप

तुर्की में तबाही को महाविनाशकारी बताने की एक वजह है फॉल्टलाइन. विशेषज्ञों के मुताबिक, तुर्की का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन प्लेट पर टिका है. इस प्लेट के पूर्व हिस्से में ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट है. बाईं तरफ ट्रांसफॉर्म फॉल्ट है, यह अरेबियन प्लेट के साथ जुड़ता है. दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में अफ्रीकन प्लेट मौजूद है. वहीं उत्तर दिशा की ओर यूरेशियन प्लेट है, जो उत्तरी एनाटोलियन फॉल्ट जोन से जड़ी है.

भौगोलिक तौर पर देखें तो भूकंप का केंद्र रहा गाजियांटेप एनाटोलियन, अरेबियन और अफ्रीकी प्लेटों के मिलने वाले ट्रिपल जंक्शन में स्थित है. वहीं, तुर्की का अधिकांश हिस्सा एनाटोलियन प्लेट पर है. यहीं से स्थिति बिगड़ रही है. इसी प्लेट के कारण दबाव बढ़ता है. ये प्लेट अबेरियन प्लेट पर दबाव बनाती हैं. अरेबियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने पर भूकंप के तेज झटके लगते हैं. यह दबाव बढ़ रहा है.

3- कंपन के साथ इमारतों की मजबूती भी फैक्टर

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के इंस्टीट्यूट फॉर रिस्क एंड डिजास्टर रिडक्शन के हेड प्रोफेसर जोआना फाउरे कहते हैं, किसी भी साल आए सबसे घातक भूकंपों में से, पिछले 10 सालों में केवल दो भूकंप सबसे खतरनाक रहे हैं. इसकी वजह रही है उनकी तीव्रता. तुर्की को देखें तो केवल कंपन की शक्ति ही तबाही की वजह नहीं है. इमारतों की मजबूती भी एक बड़ा कारण है. कई विशेषज्ञों का कहना है, निर्माण में खामियां और कमजोरी भी तबाही को बढ़ाने में मदद करती हैं.

4- कितनी जल्दी मदद मिलेगी, यही बड़ी बात

पॉर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी में वॉल्केनोलॉजी और रिस्क कम्युनिकेशन के प्रोफेसर डॉ. कारमेन सोलाना कहते हैं, दक्षिण तुर्की और विशेष रूप से सीरिया में निर्माण का बुनियादी ही खराब है, इसलिए जीवन बचाना अब इस बात पर निर्भर है कि लोगों को समय रहते कितनी मदद मिल पा रही है. जीवित बचे लोगों को खोजने के लिए अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण हैं. 48 घंटों के बाद जिंदा बचे लोगों की संख्या में भारी कमी आई है. अस्पतालों के ध्वस्त होने से इलाज की मदद मिलना भी मुश्किल हो गया है.

5- अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटना आसान नहीं होगा

विशेषज्ञों का कहना है, तुर्की की अर्थव्यवस्था इंडस्ट्रियल और खेती-किसानी पर निर्भर है. हालिया भूकंप के बाद देश की जो स्थिति है उससे उबरने में लम्बा वक्त लगेगा. तुर्की कई बार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ चुका है. हालात पहले ही बेहतर नहीं थे, अब भूकंप के बाद हुए नुकसान की भरपाई करना और वापस खड़ा होना आसान नहीं होगा.