भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज
जतारा – मनुष्य जीवन में अनेक प्रकार के उतार- चढाव देखता है। वे उतार चढाव सत्य भी हो सकते हैं, असत्य भी हो सकते हैं, वे उतार- चढ़ाव मानसिक भी हो सकते है अथवा वे आपकी भूल भी हो सकते हैं। जीवन में आने वाले वे उतार- चढ़ाव आपके जीवन के अभिन्न अंग हैं। संघर्षो को पार करके ही मनुष्य अपने जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। हमने मनुष्य जीवन प्राप्त किया है, दुर्लभ मनुष्य जीवन प्राप्त करके हम जरा विचार तो करें कि हम पुण्यवान हैं अथवा पापात्मा हैं। ध्यान रखना, मनुष्य जन्म पाकर भी यदि हमें सच्चे देव,शास्त्र,गुरु की चरण-शरण मिली है तो निश्चित ही हम पुण्यवान हैं। जैन कुल में यह पुण्य सौभाग्य हमें जन्म से ही प्राप्त हुआ है, देव गति पुण्य रूप कहलाती है, लेकिन ध्यान रखना देव गति में भी किन्हीं देवों को यह पुण्य सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता । देवगति में भी जीव विषय-भोगों में लीन रहते हुए सच्चे देव-शास्त्र-गुरु की शरण प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस संसार में परिभ्रमण करते हुए प्राणी चार गतियों में ही भ्रमते रहते हैं, दुःखस्वरूप इन चार गतियों से छूटने के लिए सच्चे देव- शास्त्र-गुरु की शरण प्राप्त करना अनिवार्य है । एक शिष्य ने अपने गुरुजी से पूछा- गुरुदेव ! अनवरत अपने लक्ष्य की ओर किस तरह बढ़ा जाए ? गुरुजी ने कहा- बेटा, जिसतरह अमावस की अंधेरी रात्रि में लालटेन की रोशनी में मार्ग तय किया जा सकता है उसी तरह अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को लालटेन की रोशनी की तरह मानते हुए जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए तुम निश्चित ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकोगे। तुम्हें अपने जीवन में जो अमूल्य क्षण प्राप्त हुए है उन अनमोल क्षणों का आश्रय लेकर सतत् आगे बढ़ते रहो, आपका हर क्षण आपके लक्ष्य की सिद्धि कराने में समर्थ है। बस आप उन क्षणों का भरपूर सदुपयोग करें!
26 जून से आष्टाहि्नक पर्व में होगी सिद्धों की महाआराधना
भारतीय जैन संगठन तहसील अध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि 11 जून को जन्मभूमि, जतारा जैन समाज को वर्ष 2023 के मंगल स्वर्णिम चातुर्मास का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।12 जून 2023 को सकल दिगम्बर जैन समाज जतारा ने आष्टाहि्नक महापर्व में श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान का निवेदन आचार्य श्री ससंघ के चरणों में किया। समाज के विशेष अनुनय विनय पर पूज्य आचार्य गुरुवर ने समाज को सिद्धों की महा आराधना का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया । 26 जून से 04 जुलाई तक जन्मभूमि में सिद्धो की आराधना के साथ भक्ति का अमृत बरसेगा ।भक्तामर महामंडल विधान के माध्यम से पुण्य अर्जन करने का सौभाग्य श्रीमती शिल्पी नितिन जैन होटल सूर्या खजुराहो एवं शशांक जैन दिल्ली परिवार को प्राप्त हुआ ।