Home धर्म - ज्योतिष आकांक्षाओं के पर्दे गिराने से प्राप्त होता है आत्मा का आनंद – भावलिंगी संत...

आकांक्षाओं के पर्दे गिराने से प्राप्त होता है आत्मा का आनंद – भावलिंगी संत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज 

0

जतारा – हमने मनुष्य योनि में जन्म लिया है, हमें इस मनुष्य पर्याय में मन प्राप्त हुआ है।संसार में अधिकांश जीव अर्थात ऐकेन्द्रिय से असंज्ञी पंचेन्द्रिय तक के जीवों को मन की प्राप्ति नहीं होती है, मन के न होने से वे प्राणी अपने हित- अहित का विचार नहीं कर पाते। मनुष्यों में भी कोई व्यक्ति ऐसा होता है,जो विचार शक्ति से रहित होता है जिन्हें आप पागल पुरुष कहते हैं, ऐसा पागल व्यक्ति यदि नाली में गिर जाए तो वह वहीं पड़ा रहेगा किन्तु यदि “आप नाली में गिर जायें तो आप तत्काल निकलने का प्रयत्न करेगे । बंधुओं! हमें इस मानव पर्याय में मन की प्राप्ति हुई है तो हमें अपने मन का सदुपयोग करना चाहिए, मन का दुरुपयोग करने से आपकी ऐसी दुर्दशा होगी जैसी मन रहित जीवों की भी न हो। आपके घर-परिवर में कोई घटना घट आए तो आप स्वयं देखिएगा कि उस घटना से आपके परिवार का एक सदस्य खुश हो लेता है वहीं दूसरा सदस्य दुःखी हो लेता है। दोनों के सुख-दुःख का कारण क्या है ? कारण एक मात्र मन है। यदि आप अपने मन का सही उपयोग करना जानते हैं तो आप अपने जीवन की हर एक घटना से खुश-प्रसन्न रह सकते हैं इसके विपरीत यदि आप अपने मन का सदुपयोग करना नहीं जानते हैं तो निश्चित ही आप जीवन की हर घटना में दुःखी ही रहेंगे। संसार के सभी प्राणी अपने मन के आधार पर ही सुखी दुःखी होते रहते हैं, संसार में सभी प्राणी कामना, इच्छायों, आकांक्षायों के वशी भूत होकर हर्ष-विषाद में पड़ा रहता है। आपकी आकाक्षायें शुभ रूप होती भी होती हैं अथवा अशुभ रूप भी होती है, आपकी आकांक्षाएं पूर्ण होती हैं तो आप सुख की अनुभूति कर लेते हैं यदि ये पूर्ण न हो तो आप दुःख के गर्त में गिर जाते हैं । धर्मात्मा भक्त प्राणी जब निश्चल निष्काम भाव से भगवान की भक्ति में लीन होता है तो उसकी कोई इच्छायें, कामनायें नहीं होती, उस समय वह भक्त सुख-दुःख से परे एक मात्र आनन्द की अनुभूति करता हैं। वास्तव में आकांक्षाओं के पर्दे को गिराकर ही जीवन के वास्तविक आनंद की प्राप्ति हो सकती है। भगवान के दरबार में आकर भी आपके आकांक्षा, कामना का कीड़ा कुलबुला रहा है तो आपको कभी भी आत्मा के अलोकिक आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती है। कामनाओं के त्याग से आपका जिनमंदिर में आना सार्थक हो सकता है । जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि पूज्य आचार्य गुरुवर के सानिध्य में भक्तामर महामंडल विधान के माध्यम से पुण्यार्जन करने का सौभाग्य सुनील,अब्बु ,सरिता, इशीका, स्तुति,समय जैन, समस्त बजाज परिवार टीकमगढ़ को प्राप्त हुआ ।धर्म सभा में प्रकाश रोशन, महेंद्र टानगा, पवन मोदी, डॉ नीटू जैन, गुलाब पटवारी सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे ।