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सम्पूर्ण रोगों की शक्तिशाली औषधी है जिनेन्द्र भगवान की भक्ति – आचार्य श्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज 

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जतारा – आप अपने जीवन में सुख-शांति चाहते हैं, और चाहना भी चाहिए. चाहने से सुख-शान्ति की प्राप्ति भी होती है किन्तु यह विचार नहीं कर पाते कि वास्तविक सुख शान्ति प्राप्त करने के साधन कौन से हैं।जहां सुख-शान्ति की प्राप्ति नहीं होती, आप बस वही पर अपना निरर्थक पुरुषार्थ करते रहते हैं। यही कारण है कि आज तक आपको चिर स्थायी, शाश्वत सुख शान्ति की प्राप्ति नहीं हुई।आपके परिवार में कोई रोगी सदस्य है आप उसकी औषधी दवाई आदि के माध्यम से उपचार कराते हैं किन्तु जब आपकी वह औषधी और दवाई भी अपना प्रभाव दिखाना बंद कर दें, तब आप क्या करते हैं ? तब आपकी श्रद्धा भक्ति धर्म से जाकर टकराती है। बंधुओं, धर्म, भगवान की भक्ति एक ऐसी महाशक्ति है कि संसार में जब आपके लिए सभी द्वार बंद हो आये तो भी भगवान की भक्ति का दरवाजा आपके लिए हमेशा खुला रहता है। एक माँ प्रतिदिन जिनालय में जाकर भगवान की भक्ति किया करती थी अचानक एक दिन उसके बेटे का दुर्घटना में एक्सीडेंट हो गया, उस समय वह माँ मंदिर में भगवान की भक्ति में संलग्न थी, उसकी पड़ोसन ने फोन लगाकर उसे यह बात बताई। भक्ति पूर्ण करके वह घर पहुंची और अपने बेटे की सेवा में तत्पर हो गई उसकी पडोसन उससे कहा करती कि धर्म करने से कुछ भी नहीं होता । कुछ दिनों में ही बेटा स्वस्थ हो गया, अचानक एक दिन किसी दुर्घटना में उसका दोबारा एक्सीडेंट हो गया देखते-देखते बेटे का 4-5 बार भयानक एक्सीडेंट हुआ। अब तो पडोसन से रहा नही गया उसने कहा- देख बहिन, तुम भगवान की जितनी भक्ति करती हो उतने ही तुम्हारे जीवन में दुःख के बादल छा रहे हैं तुम ये सब आडम्बर छोड़ो। तुम अपने बेटे की कुण्डली मुझे दो, मेरी जानकारी में एक पहुंचे हुए ज्योतिषि है, मैं उन्हें कुण्डली दिखाती हूं। पडोसन ने ज्योतिषी को कुण्डली दिखाई देखते ही देखते ज्योतिषी बोला ये किसकी कुंडली मेरे पास लाई हो जिसकी यह कुंडली है वह व्यक्ति बहुत समय पहले ही किसी बड़ी दुर्घटना में मर चुका है। वह पड़ोसन बोली नहीं वह व्यक्ति अभी भी जीवित है। ज्योतिषी बोला कुण्डली बोल रही है कि वह व्यक्ति मर चुका है पड़ोसन को समझते देर न लगी वह लौटकर उस माँ के पास आई और क्षमा मांगने लगी, कहती लगी बहन में अभी तक भ्रम में थी आज मेरा भ्रम टूट गया है कल से मैं भी तुम्हारे साथ उन भगवान की भक्ति करने चलूंगी जिनकी भक्ति से तुम्हारा बेटा मौत के मुंह से बाहर निकलकर आया है। भगवान की भक्ति से अकल्पनीय असंभव कार्य भी सहज बनते चले जाते हैं ।

जतारा जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि पूज्य आचार्य गुरुवर के सानिध्य में भक्तामर महामंडल विधान के माध्यम से पुण्यार्जन करने का सौभाग्य श्रीमति स्नेहलता-अनिल,श्रीमति मोनिका-अंकुर,श्रीमति भारती- अभिषेक, डा0आकांक्षा,बेबी, आरना जैन समस्त सिंघई परिवार ललितपुर एवं श्रीमति लता रानी-महेन्द्र, इंजी श्रीमति दिव्यश्री-सोमिल, डा0आकाश, शुभम्,बेबी,वान्या जैन समस्त पोतदार परिवार टीकमगढ़ को संयुक्त रुप से प्राप्त हुआ ।