हरिपर्वत आगरा में हो रही है नित्य धर्मसभा
जिनवाणी सुधा कलश पर हो रहा है विशेष प्रसारण – विजय धुर्रा
आगरा – आज मैं आपके सामने बहुत बड़ी चीज कहा रहा हूं तुम लोगों को दिख रहा है कि जो संसार छोड़ कर मोक्ष चले गए वे ही धर्मात्मा है सिर्फ ब्रत उपवास करना त्याग करना ही धर्म है महाराज की सेवा करना कुछ दान पुण्य करने को ही धर्म मान लिया है धर्म की खेती फिर भी सूखती रही भाग्य शाली मानकर मन्दिर गये थे लोभ से भय से मेरा दिन अच्छे से निकले तुम्हारे लिए ये पता नहीं है कि ये सुन्दर फल फूल आये है ये गंदी खाद्य से आये है धर्म बहुत हो रहा है खाद्य विहीन खेती की तरह इसलिए तो धर्म से ही उव रहें है।पूजा, अभिषेक , माला से ही मन उव रहा है उक्त आश्य के उद्गार मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ने हरिपर्वत आगरा में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
जैन साधु हर किसी के आहार नहीं करते जो उन्हें गुरु माने तव आहारलेते हैं
उन्होंने कहा कि गुरु के संबंध में कभी अंध विश्वासी मत करना डॉ के संबंध कभी अंधे नहीं होना बहुत अच्छी तरह पता लगा लेना सौ प्रतिशत डाक्टर खरा हो फिर दवा के संबंध में चिंता मत करना ऐसे ही सारी दुनिया में जैन दर्शन में विचार मत करना सिर्फ श्रद्धान करना जैन साधु पर कभी आंख वंद करके विश्वास नहीं करता पहले अच्छी तरह परख लेना जव विश्वास हो जाये तो वह जो कहें वहीं कर लेना जैन साधु जहां कहीं भी आहार नहीं लेते उन्हें यही कहा भूके मर जाना लेकिन आहार कौन दे रहा ये देख लेना जैन साधु हर स्थान पर आहार नहीं करता जैन साधु वहीं आहार करता है जो उन्हें अपना गुरु मानता तव ही जैन साधु आहार करने जाते है
प्रतिदिन सुबह से होगी धर्म सभा
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज के प्रवचनों का सीधा प्रसारण प्रतिदिन दिन जिनवाणी चैनल पर प्रातः साढ़े आठ बजे से हो रहा है साथ ही जिज्ञासा समाधान का कार्य कम नियमित रूप से शाम छ वजे से हो रहा है परम मुनि पुंगव श्रीसुधासागर जी महाराज की मंगल देशना का लाभ देशभर के भक्तों को मिल रहा है इसके साथ ही आदिनाथ चैनल सुधा कलश चैनल एवं पुण्योदय पर भी प्रवचनों का विशेष प्रसारण किया जा रहा है
आज विज्ञापन का युग है विज्ञापन देखकर आप माल खरीद लेते हैं
उन्होंने कहा कि आज आप विज्ञापन देखकर माल खरीद लेते हैं जबकि उसके संबंध में आपको कुछ भी नहीं मालूम था मेरे विज्ञापन पर आगरा वालो ने ना मालूम कितना माल खरीद मन्दिर जाने से ये होता है पूजा करने से ये फायदे होंगे आप दुखी थे परेशान थे लोभी थे तुम जो चाहते थे वह जीवन में मिला नहीं उसकी आशा में आप मन्दिर में शान्ति धारा करने को लाखों की वोली लेकर तैयार हो गए तर्क से भय से लोभ से कल कहा था सच्चे साधु और सच्चे डाकू पापी की धमकी को गलत मत मानना नहीं तो आप अपने वच्चे को खो देंगे या धमकी नहीं है और तुम्हारे सच्चे गुरु ने कुछ कहा था और आगरा वालो ने मेरी बात को माना मैं कैसा हूं ये फैसला तुमे करना है वो साचा वोलेगा कि झूठी वोलेगा अपनी छाती पर हाथ रख कर सोचना कि मेरे गुरु सांचे है तुम समझना गुरु को आप डाक्टर पर विश्वास करते हैं या डाक्टर की लिखी पर्ची पर विश्वास करते हैं हमें जनन ही नहीं है आपको डाक्टर की जितनी परीक्षा करना है कर लो पहले करना क ई वार तो तत्काल निर्णय करना पड़ता है ऐसे ही तुम्हारा डा है गुरु जहां से ये आये है।