संसार सागर से जो पार लगाये वे तीर्थ कहलाते हैं
नौ जुलाई को होगी चातुर्मास कलश की स्थापना – विजय धुर्रा
अशोक नगर – हम सब लोग शोक को नाशाने वाली अशोक की नगरी में वैठ कर जिंदगी को आनंदित वनाने के लिए कुछ सीखने समझने चाहते हैं तो चिंत की चंचलता को रोकें इन्द्रभूति गौतम गणधर ने भगवान महावीर स्वामी की वाणी को सुनकर अपने चित की चंचलता को रोक दिया उन्होंने प्रभु की वाणी को सुनकर संसार के प्राणियों के कल्याण के लिए तीर्थ कर प्रभु की देशना को जन जन पहुंच जिससे तीर्थ उदित होता जो संसार सागर से पार लागये वे तीर्थ कहलाते हैं तीर्थ कर की वाणी में अपने को धोलो और तीर्थकर प्रभु के सम होलो उक्त आश्य के उद्गार सुभाषगंज मैदान मेंधर्म सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्रीआर्जवसागर जी महाराज ने व्यक्त किए
रविवार को मध्यान्ह में होगी चातुर्मास कलश की समारोह पूर्वक स्थापना
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षा ले जिन धर्म की प्रभावना करने वाले आचार्यश्री आर्जवसागर जी महाराज ससंघ मुनि श्री भाग्य सागरजी महाराज मुनिश्री महतसागरजी महाराज मुनिश्री सजग सागर जी महाराज मुनिश्री सानंद सागरजी महाराज ससंघ के मंगल पावन वर्षायोग की स्थापना रविवार नौ जुलाई को दोपहर डेढ़ बजे से सुभाष गंज मैदान में होगी चातुर्मास कलश स्थापना समारोह को अंतिम रूप देने जैन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल की अध्यक्षता में कोरकमेटी की वैठक गंज मन्दिर में गत दिवस रखीं गई जिसमें कमेटी के महामंत्री राकेश अमरोद कोषाध्यक्ष सुनील अखाई ने ब्यवस्थाओ संवंधी जनकरी सभी को दी इस दौरान दर्शनोदय थूवोनजी कमेटी अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल महामंत्री विपिन सिंघाई मंत्री विनोद मोदी गंज मन्दिर संयोजक उमेश सिघई गांव मन्दिर संयोजक मनीष सिघई पारसनाथ मन्दिर संयोजक मनोज रन्नौद श्रेयांस घेला अजित वरोदिया राजेन्द्र अमन मेडिकल प्रदीप तारई प्रमोद मंगलदीप मनीष वरखेडा मनोज भैसरवास पवन वर्तन महेश घमंडी सुलभ अखाई नितिन बज निर्मल मिर्ची सहित अन्य लोग उपस्थित थे
*साधु का जीवन कुंआ के समान होता है जो चाहे जल पी सकता है*
धर्म का खाता खोलकर अपने उन्होंने कहा कि कुंआ किसी एक व्यक्ति का नहीं होता एक समाज का नहीं होता जो चाहे वह कुयें के पास पहुंच कर पानी पी सकता है हम साधुओं का जीवन कुंआ के समान होता है जो चाहे आकर पानी पी सकता है जितना लेना चाहते हो लोटा भर गांगर भर लो चाहे कोई समाज का हो सभी तो सब के होते हैं साधु तेरे मेरे चक्कर में नहीं पड़ते उनके कुछ आवश्यक होते हैं उन्हें छोड़ कर आप सभी नगर वासी लाभ ले सकते हैं चाहे वे कोई धर्म पंत के हो सभी को समान रूप से साधु के पास है वह इन चार माह में मिलता रहेगा । आचार्य श्री ने कहा कि स्वयं अपने दारा किए कर्म काफल हमे मिलता है भगवान हमारे जीवन में आइना के समान है जैसे आइना कुछ नहीं करता आपका चेहरा जैसा होगा वैसा ही आइना वता देता है ऐसे ही भगवान कुछ नहीं करते हम उनके आईने में अपने जीवन को झांक लेते हैं भगवान की प्रशांत मुद्रा को देख कर अपने कर्मो की निर्जरा कर सकते हैं हमें अपने कर्म का फल भोगना पड़ता है कभी पाप और पुण्य एक साथ आता है जो हमने पूर्व में किया है वहीं भाग्य वनकर हमारे सामने आता है *ईश्वर तो परम दयालु हैं कृपालु है*
आचार्य श्री ने कहा कि भगवान तो कृपालु है ईश्वर तो परम दयालु हैं कृपालु है वह किसी को सुखी और किसी को दुखी कैसे वना सकता है ये सभ्यता है कि जव कुछ अच्छा होता है तो हम इसे ईश्वर की कृपा मानकर उनका धन्यवाद करते हैं आभार करते हैं हमें पुण्य का प्रताप दिखने में भी तो आ रहा है एक व्यक्ति हलो हलो कर रहा है और तिजोरी भरी जा रही है और वही दूसरा व्यक्ति पूरे दिन मेहनत करके दो दून की रोटी खा पा रहा है ये सब हमारे ही पूर्व में किए गए कर्मो का फल है आज जो अच्छा करेगा वही कल उसके भाग्य वनकर आने वाला है उन्होंने कहा कि तत्व के ज्ञान को समझने के लिए विद्वान की आवश्यकता भी होती है विद्वान अपनी कुशलता से आपको समझा सकता है विना विद्वान के ज्ञान नहीं मिलता वैसे ही विना अग्नि के विना रोटी नहीं सिक सकती अग्नि आपको मिल गई है आप चाहें तो अपनी रोटी सेंक सकते हैं गुरु महाराज रूपी अग्नि गर्म है उसमें आप अपनी भी रोटी सेक ले। सभा का संचालन जैन युवा वर्ग संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने किया।