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गुड़ गोबर बन सकता है तो गोबर भी गुड़ बन सकता है, सुधरने की संभावना को स्वीकारें

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श्री लाल गंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि के प्रवचन

रायपुर – गुड़ गोबर बन सकता है। क्या आप गोबर से गुड़ बना सकते हैं!  क्या मूलभूत परिवर्तन संभव है! आपके मन में इसका जवाब होगा- नहीं। लेकिन, ऐसा नहीं है। ‌गुड़ अगर गोबर बन सकता है तो गोबर भी गुड़ बन सकता है। जरूरत है तो बस सुधरने की संभावनाओं को स्वीकार करना। टैगोर नगर के श्रीलालगंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने यह बातें कही । ‌उन्होंने कहा कि बहुत सारे विचार आज भी चल रहे हैं। पहले भी चलते थे। उसमें से एक विचार था कि जो आज फीमेल है, क्या वह हर जन्म में फीमेल ही रहेगा? जो मेल है वह हर जन्म में मेल ही रहेगा क्या? कई धार्मिक किताबों में बताया गया कि पुरुष पुरुष ही रहेगा। नारी नारी ही रहेगा। कुछ मंत्रों में यह भी बताया गया कि जो व्यक्ति गंदगी के साथ मरता है वह अगले जन्म में कुत्ता बनता है। इस तरह के विपरीत विचारों को पढ़कर सुधर्मा स्वामी के मन में भी विचारों का द्वंद शुरू हो गया। सच क्या है? मुझे लगता है कि धर्म को लेकर जैन कम्युनिटी सबसे ज्यादा कंफ्यूज है। उनके सामने दो तरह के विचार हैं। मैं अपना पहला अनुभव आप लोगों से साझा कर रहा हूं। पहली बार जब मैं जोधपुर आया तो रास्ते में एक गांव आया जहां एक-दो जैन परिवार ही थे। पानी के लिए गया तो उन्होंने तीन पतीले खोल कर रख दिए। एक में स्वच्छ जल था। एक में उबला हुआ पानी। तीसरे में ऐसा पानी था जिसे आप पी नहीं सकते। परिवार ने कहा कि आपको जो अच्छा लगता है बता दीजिए, हम आपको वह पानी दे देंगे। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। मैंने पूछा, यह क्या है! उन्होंने बताया कि महाराज साहब! संत आते हैं। मां का पानी नहीं मिलता तो वह वापस प्यास चले जाते हैं। तब से मैंने तय कर लिया कि तीन तरह का पानी रखेंगे। मैंने पूछा कि ऐसे संत भी आते होंगे, जो आपसे पूछते होगी कि यह किसके लिए रखा है। उसने कहा कि हां मैं बताती हूं, मेरे घर में तीन तरह के प्राणी आते हैं। वह जानते हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता है। मन में असमंजस रह जाता है पर वह पानी ले लेते हैं। इसी तरह की उहा-पोह सुधर्मा स्वामी के मन में भी थी। मैं पुरुष हूं तो हर जन्म में पुरुष ही रहूंगा! कोई नारी है तो हर जन्म में नारी ही रहेगी! या फिर कोई बदलाव भी हो सकता है? एक मन कहता था कि बदलाव हो सकता है। एक मन कहता था कि ऐसा नहीं हो सकता। अब मैं अपने मूल सवाल पर वापस आता हूं। गुड़ गोबर बन सकता है। क्या गोबर गुड़ बन सकता है? इसका उदाहरण आप चंड कौशिक के जीवन से ले सकते हैं। उसे बिगड़ने में तीन जन्म लग गए। सुधारने में 3 मिनट भी नहीं लगे। जल्दी सुधरने की संभावनाओं को आप स्वीकार क्यों नहीं करते। दिल को खराब होने में लंबा समय लगता है। ऑपरेशन होने में कुछ घंटे ही लगते हैं। ‌ सही वक्त पर सही जगह और सही विचार का होना जरूरी है। ‌

आगम की जानकारी रखिए वरना आने वाली पीढ़ी को क्या जवाब देंगे

आगम में उन सभी बातों का जिक्र है जो आपके जीवन से जुड़ी हैं। विज्ञान ने जो खोजा, वह बातें आगम में है। ‌ जो बातें विज्ञान आज तक नहीं खोज सका है, वह सभी बातें भी आगम में लिखी हैं। आप सभी को अपने आगम की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए भी क्योंकि आने वाली पीढ़ी जवाब से सवाल करेगी तो आप उन्हें क्या जवाब देंगे। मैं चाहता हूं कि देश दुनिया के लोग आगम में लिखी बातों को खोज और समझ सकें, उससे पहले आप इसे समझें। 

अर्हम विज्जा शिविर में सीख रहे धर्म, ध्यान और साधना

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि गुरुदेव के सानिध्य में रोज सुबह 9 से 10 बजे तक प्रवचन‌ जारी हैं। इसमें बड़ी संख्या में सकल जैन समाज के लोग शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा गुरुदेव द्वारा अर्हम विज्जा शिविर के जरिए लोगों को धर्म, ध्यान और साधना सीखा रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार और‌‌ रविवार को प्रवचन स्थल पर अर्हम गर्भ साधना शिविर का आयोजन किया गया है।