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परमपूज्य आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महामुनिराज के संघस्थ आठ ब्रम्हचारी भाइयों द्वारा वैराग्य के पथ पर चलने का निर्णय लिया गया 

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नवापारा राजिम – चर्या शिरोमणि , आगम उपदेष्टा परमपूज्य 108 आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महामुनिराज के संघस्थ आठ ब्रम्हचारी भाइयों द्वारा संसार मार्ग को छोड़कर वैराग्य के पथ पर चलने का निर्णय लिया गया । परमपूज्य गुरुवर के मंगल आशीर्वाद एवम् सानिध्य में भाइयों की बिनौली एवम् गोद भराई का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । नमोस्तु शासन में दीक्षा पूर्व जिन धर्म की प्रभावना हेतु भावी रत्नत्रय धारी दीक्षार्थी भाईयों की बिनौली एवम् गोद भराई का कार्यक्रम किया जाता है । बिनौली के मध्य से पूरे नगर को यह संदेश दियावजाता है कि जब पूरा विश्व भोगों की ओर दौड़ रहा है, उस कठिन काल में ये दीक्षार्थी वैराग्य के पथ पर चलकर गुरुआशीष एवम् कठिन साधना के माध्यम से स्वयं को भगवान बनाने के मार्ग पर अग्रसर हैं । जहां जीव अन्न का कीड़ा बना हुआ है , वही ये युवा दीक्षा पश्चात जीवन भर एक समय भोजन एवम् जल ग्रहण करेंगे, आकाश ही इनका वस्त्र और धरती ही इनका बिछौना होगा ।  सर्दी, गर्मी, वर्षा की बढ़ा को ये सरलता से सहन करेंगे । ऐसा संदेश प्रदान करते हुए दीक्षार्थी जिन्धर्म की प्रभावना करते है । बाल ब्रम्हचारी पियूष भैया जी (सतना ) के कुशल निर्देशन में सिद्ध सभी सिद्धम भैया, विपुल भैया,हिमांशु भैया , हार्दिक भैया, राजेश भैया, विनी भैया तन्मय भैया एवम् अंकुर भैया जी ने गुरुवर आचार्य विशुद्धसागर जी दीक्षा स्थली में चातुर्मास हेतु विराजमान गुरुनाम गुरु उपसर्ग विजेता 108 श्री विरागसागर जी महामुनिराज के दर्शन कर उनका आशीष प्राप्त कर मोक्षमार्ग पर बढ़ते कदमों को गति प्रदान की । 

शनैः शनैः विभिन्न प्रांत एवम् नगरों में जिन धर्म की प्रभावना करते हुए महाराष्ट्र के गोंदिया नगर प्रवेश किया, जहां गुरुवर आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि श्री प्रणीत सागर जी एवम् श्रमण मुनि निर्मोह सागर जी चातुर्मास हेतु विराजमान है । मुनिवर द्वय के मंगलमय सानिध्य में गोद भराई का कार्यक्रम संपन्न हुआ । गोंदिया से रवाना होकर सभी छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया । छत्तीसगढ़ के एकमात्र दिगम्बर जैन तीर्थ डोंगरगढ़ चातुर्मास हेतु विराजमान इस युग के श्रेष्ठ साधक, संतो के संत परमपूज्य 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के दर्शन कर उनके चरणों की वंदना कर जैनेश्वरी दीक्षा हेतु आशीष प्राप्त किया । दुर्ग में विराजमान गणिनि आर्यिका 105 सौभाग्यमती माता जी के भी दर्शन किए । ज्ञानचन जी पाटनी, राकेश छाबड़ा संदीप लुहाड़िया एवम् सजल जैन सभी की अगवानी की । तत्पश्चात बिनोली एवम् गोदभराई का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । वहां से सेक्टर 6 में भी गोदभराई हेतु सभी भाइयों ने अपना सानिध्य प्रदान किया । वैशाली नगर भिलाई अपने आराध्य गुरुवर आचार्य भगवन  विशुद्ध सागर जी के संघस्थ दीक्षार्थी भाइयों की पलक पांवड़े बिछाए बाट जोह रहे थे । उनकी आंखें तृप्त हुई रात्रि के 10 बजे जब सभी भाई वहां पहुंचे । कजोड़मल जी, अरविंद सतभैया जी एवम् मनोज पहाड़िया के साथ सभी नगर वासियों में इतना उत्साह था कि रिमझिम बारिश में भी भव्य बिनौली निकाली गई । नगर भ्रमण के पश्चात सभी ने भाईयों की गोद भराई का कार्यक्रम संपन्न किया ।

रात्रि विश्राम पश्चात प्रातः सभी भाई परम गुरुभक्त श्री महावीर जी पाटनी के निवास स्थल पर पहुंचे , वहां सभी भैया जी की गोदभराई का कार्यक्रम संपन्न हुआ । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के फाफाडीह स्थित सन्मति नगर भी सभी भाईयों के आगमन की प्रतीक्षा कर रहा था , अरविंद जी बड़जात्या, महावीर जी बाकलीवाल, सुधीर जी बाकलीवाल, प्रदीप जी पाटनी सभी ने भाईयों का स्वागत किया । पूरी समाज ने गोद भराई कर अपने को धन्य समझा । इस प्रभावना पूर्ण उत्सव में गुरुवर के आशीष से राजिम निवासियों का भी भाग्य जगा और गुरुकृपा से अचानक ही गोद भराई का कार्यक्रम प्राप्त हुआ । सभी भाईयों ने नगर प्रवेशकर सर्वप्रथम देवाधिदेव मुलनायक भगवान 1008 श्री शांतिनाथ जिनालय पहुंचे, वहां संरक्षक श्री रमेश पहाड़िया की ने पूरी समाज एवं नगर की ओर से सभी भाईयों की अगवानी की । दीक्षार्थी भाइयों ने शांति प्रधु के दर्शन कर  अपने नयनों को तृप्त किया , और मुनि दीक्षा पश्चात शीघ्र पुनः दर्शनों की भावना भायी । मंदिर जी से ही बाजों की सुमधुर ध्वनि के मध्य दीक्षार्थी भाईयों ने जुलूस के साथ जैन भवन में प्रवेश किया, जहां समाज का हर वर्ग भावी मुनियों की प्रतीक्षा कर रहा था । सभी ने दीक्षार्थी भाइयों की गोद भर कर उनके भावी रत्नत्रय जीवन हेतु मंगल कामना करअपने पुण्य की सराहना की ।  कार्यक्रम समाप्ति पश्चात सभी भाई आदरणीय पियूष भैया जी के नेतृत्व में कलकत्ता एवम् आसाम हेतु रवाना हो गए ।