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‘मेट्रो मैन’ के कंधे से बंदूक चला रही बीजेपी, महिलाओं के लिए फ्री सेवा पर AAP का पलटवार

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मेट्रो मैन ने अपनी चिट्ठी में मेट्रो कार्य के प्रति दिल्ली सरकार के ढीले रवैये पर भी सवाल उठाए थे.

नई दिल्ली: फ्री मेट्रो-बस सेवा को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े किए हैं, जिसके जवाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने श्रीधरन को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का एजेंट करार दे दिया है.

मेट्रो मैन की चिट्ठी आने के एक घंटे के बाद ही आप की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आप नेता आतिशी ने कहा कि ‘श्रीधरन जी सम्मानित व्यक्ति हैं, इसलिए हमने उनको पत्र लिखा. हमें हैरानी हो रही है कि श्रीधरन जी राजनीतिक पत्र लिख रहे हैं और बीजेपी उनके कंधे से बंदूक चला रही है.’

दरअसल चिट्ठियों का ये दौर पिछले महीने तब शुरू हुआ जब फ्री मेट्रो सेवा के विरोध में ई श्रीधरन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस योजना का कड़ा विरोध जताया, जिसके जवाब में मनीष सिसोदिया ने श्रीधरन को चिट्ठी लिखी और सिसोदिया की इसी चिट्ठी का जवाब श्रीधरन ने शुक्रवार को दिया है.

इस चिट्ठी में श्रीधरन ने दिल्ली सरकार से कई अहम सवाल पूछे हैं, जिसके जवाब में आप ने जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार टैक्स पेयर का पैसा खर्च करेगी. टैक्स पेयर को अधिकार है कि उनका पैसा कहां खर्च हो? ऐसे में क्या ये लोगों के अधिकारों का हनन नहीं है?

आप ने कहा, “हमने कुल 1120 सभाएं दिल्ली में की हैं और 90 फीसदी लोग इस योजना के पक्ष में हैं यानि टैक्स पेयर को दिक्कत नहीं होगी.

मेट्रो मैन ने अपनी चिट्ठी में मेट्रो कार्य के प्रति दिल्ली सरकार के ढीले रवैये पर भी सवाल उठाए. इसका जवाब देते हुए आप नेता आतिशी ने कहा कि ‘4th फेज़ की मेट्रो का काम प्रोजेक्ट डिजाइन की वजह से लेट हुआ है. इस प्रोजेक्ट के डिजाइन के मुताबिक कुछ चीजें संभव नहीं थीं, ऐसे में हमने कुछ बदलाव किए और इसलिए देरी हुई.’

फ्री मेट्रो सेवा से आप की दिल्ली सरकार को काफी उम्मीदें हैं. ऐसे में पार्टी को किसी भी प्रकार का विरोध नागवार गुज़र रहा है, क्योंकि जिन आप प्रवक्ताओं को मीडिया स्कूल में मिली चिट्ठी के बाद से दिनभर ढूंढ रहा था वे शाम होते-होते श्रीधरन की चिट्ठी के बाद ही कैमरे के सामने आए.

सवाल ये भी है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यकीन रखने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल क्या विरोध करने वाले हर व्यक्ति को बीजेपी का एजेंट बताते रहेगें?