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जन्मदिन विशेष: ‘हम भविष्य से डरते हैं क्योंकि हम आज को बर्बाद कर रहे हैं’

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दुनियाभर में शांति और प्रेम का संदेश देने वाली मदर टेरेसा 109 साल पहले आज ही के दिन जन्मी थीं. पढ़िए उनकी जिंदगी की कही वो बातें जो हर किसी के जीवन के लिए एक बेहतरीन सीख है.

विश्व बैंक के अध्यक्ष रहे रॉबर्ट मेक्नामारा मदर टेरेसा के बड़े प्रशंसक थे. उन्होंने कहा था कि मदर टेरेसा नोबेल शांति पुरस्कार की सबसे बड़ी हकदार हैं, क्योंकि वो मानव मर्यादा को भंग किए बगैर शांति को बढ़ावा देने में यकीन करती हैं.

मदर टेरेसा के विचारों को कुछ ऐसे समझा जा सकता है कि उन्होंने सम्मान में दिए जाने वाले भोज कार्यक्रमों को रद्द करने का अनुरोध किया था. ताकि बचे हुए धन से कोलकाता के गरीबों की भलाई में इस्तेमाल किए जा सकें.

मदर टेरेसा को नजदीक से जानने वाले लोग कहते हैं कि उनके हाथ मिलाने में इतना आकर्षण हुआ करता था कि लोग उनसे जुड़े बिना नहीं रह पाते थे.

पूरी जिंदगी गरीबों की मदद करने वाली मदर टेरेसा को चार या पांच घंटे से ज़्यादा नींद की ज़रूरत नहीं पड़ती थी.

मदर टेरेसा ने 1947 में ही भारत की नागरिकता ले ली थी. वो फर्राटेदार बांग्ला बोलती थीं.

मदर टेरेसा का मानना था कि मनुष्य को पाप से नफरत करनी चाहिए, पापी से नहीं.

अमेरिका के राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन, रूस के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव, जर्मनी के चांसलर हेलमट कोल या फिर यासिर अराफात, सबका मदर टेरेसा के प्रति विशेष अनुराग था.

1977 में जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं तो मदर टेरेसा ज़ोर दे कर उनसे मिलने गईं थी.

जीवन के अंतिम दिनों तक मदर टेरेसा ने गरीबों के शौचालय अपने हाथों से साफ किए और अपनी साड़ी को खुद अपने हाथों से धोया.