जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 49 वर्षों से सेवा दे रहीं प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर से विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनका सीवी मांगा है। इतनी लंबी सेवा अवधि के बाद थापर से सीवी मांगे जाने पर विश्वविद्यालय के ही कुछ लोगों ने हैरानी जताई है। थापर 1970 में जेएनयू से जुड़ी थीं और 1992 तक प्राचीन भारतीय इतिहास की प्रोफेसर रहीं। पुन: वह 1993 से बतौर एमेरिटस प्रोफेसर सेवाएं दे रही हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन सेवा विस्तार के पूर्व उनके काम का मूल्यांकन करना चाहता है।
जेएनयू रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार की तरफ से इतिहासकार रोमिला थापर को इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। बीते महीने जारी किए गए इस पत्र में विवि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वह उनके काम का आकलन करना चाहता है, जिसके लिए उनका सीवी आवश्यक है।
समिति गठित की जाएगी : रजिस्ट्रार की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि विवि प्रशासन ने उनके कार्यों के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है। यह समिति अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार पर ही उनकी सेवाओं को जारी रखने या नहीं रखने के संबंध में फैसला लिया जाएगा।
एमेरिटस प्रोफेसर की भूमिका : किसी संकाय की तरफ से प्रस्तावित सेवानिवृत ख्यातिप्राप्त नाम को कार्यकारी व अकादमिक परिषद् की मंजूरी मिलने के बाद एमेरिटस प्रोफेसर के तौर पर मनोनीत किया जाता है। यह शोधार्थियों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें सुपरवाइज करते हैं। हालांकि इन्हें कोई वित्तीय लाभ नहीं दिया जाता है।
कौन हैं रोमिला थापर
रोमिला थापर देश की प्रमुख इतिहासकारों व लेखकों में से एक हैं। 30 नंवबर 1931 को लखनऊ में जन्मी थापर ने पहले पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक किया। उसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास में स्नातक से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। थापर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षण की शुरुआत की थी। इसके बाद वह कुछ वर्षों तक डीयू में भी पढ़ाती रहीं। 1970 में वह जेएनयू आ गईं।
विरोध : विश्वविद्यालय प्रशासन माफी मांगे
जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष व सचिव ने विश्वविद्यालय के पत्र की कड़ी निंदा करते हुए तत्काल रोमिला थापर से माफी मांगने की मांग की है। शिक्षक संघ का कहना है कि प्रशासन ने पत्र लिखकर जेएनयू की संस्कृति को बदनाम करने का प्रयास किया है। एमेरिटस प्रोफेसर के लिए किसी का मनोनयन सम्मान की बात है, जो जीवनभर के लिए जेएनयू के भव्य निर्माण में सेवाएं के बदले दी जाती है।
विवि प्रशासन ने मामले पर अपनी सफाई में कहा, “जेएनयू अधिनियम के मुताबिक अगर कोई एमेरिटस प्रोफेसर 75 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है, तो उसके काम के मूल्यांकन का अधिकार विश्वविद्यालय प्रशासन के पास है। सीवी मंगाना उसी प्रक्रिया का हिस्सा है।”