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रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची बेरोजगारी पर इस सेक्टर में बढ़े हैं नौकरियों के अवसर…

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भारत में बेरोजगारी के आंकड़े डराने वाले हैं. अक्टूबर में बेरोजगारी की दर 8.5 फीसदी हो गई है, जो पिछले 3 वर्षों में सबसे अधिक है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के ताजा आंकड़े मे बताया गया है कि बेरोजगारी की दर अगस्त 2016 के बाद सबसे ज्यादा हैं. यह सितंबर के मुकाबले 7.2 फीसदी ज्यादा है. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बेरोजगारों की फौज इकट्ठा हो रही है. भारत सरकार ने इस दिशा में कदम उठाए हैं. मांग में तेजी लाने के उपाय किए जा रहे हैं लेकिन बेरोजगारी के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि आर्थिक मंदी की वजह से ये प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं.

बढ़ती जा रही है बेरोजगारों की फौज

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने मिलकर बेरोजगारी की दर पर एक स्टडी की है. इसके मुताबिक युवाओं में बेरोजगारी की दर बढ़ी है. युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही हैं. 15 से 29 वर्ष की उम्र वाले लोगों के रोजगार के अवसर मिलने पर अध्ययन किया गया. पता चला कि इस एज ग्रुप में 2004-2005 के बीच 8.9 मिलियन यानी 89 लाख युवा बेरोजगार थे. 2011-12 में इनकी संख्या बढ़कर 9 मिलियन यानी 90 लाख हो गई. 2017-18 में युवा बेरोजगारों की फौज ढाई करोड़ के पार पहुंच गई. सबसे चिंताजनक बात ये है कि युवाओं का एजुकेशन क्वालिफिकेशन बढ़ता जा रहा है लेकिन उन्हें नौकरियां नहीं मिल रही है. जिस हिसाब से पढ़े लिखे युवा बढ़ रहे हैं उस हिसाब से उन्हें नौकरियां नहीं मिल रही हैं.

सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के युवा बेरोजगार इस स्टडी में राज्यवार बेरोजगारों की संख्या की जानकारी दी गई है. बेरोजगारी के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर वन है. यूपी में सबसे ज्यादा 30 लाख युवा बेरोजगार हैं. ये सब अच्छी क्वालिफिकेशन हासिल करने वाले युवा हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर आता है. आंध्र प्रदेश के 22 लाख युवा बेरोजगार हैं. इतनी ही संख्या में तमिलनाडु के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं.

इसके बाद महाराष्ट्र में 19 लाख, बिहार में 19 लाख, पश्चिम बंगाल में 15 लाख, मध्य प्रदेश में 13 लाख, कर्नाटक में 12 लाख, राजस्थान में 12 लाख, ओडिशा में 11 लाख, गुजरात में 10 लाख और केरल में 10 लाख युवा बेरोजगार हैं.

इस स्टडी को नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन एम्पलॉयमेंट अनएम्पलॉयमेंट सर्वे के नतीजों के आधार पर किया गया है. श्रम मंत्रालय से भी आंकड़े जुटाए गए हैं.

सबसे ज्यादा कृषि में बेरोजगारों की संख्या

स्टडी के मुताबिक सबसे बड़ी बेरोजगारों की फौज कृषि के क्षेत्र में है. 2011-12 में कृषि क्षेत्र से 23 करोड़ लोग जुड़े थे. 2017-18 में इनकी संख्या घटकर 20 करोड़ रह गई. खेती किसानी में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पैदा हुई है. बाकी सेक्टर का भी बुरा हाल है और उनमें भी नई नौकरियां नहीं पैदा हो रही हैं. इसलिए जो बेरोजगार हो रहे हैं उन्हें किसी दूसरी जगह नौकरी भी नहीं मिल पा रही है.

सर्विस सेक्टर में बढ़ी है नौकरियों की संख्या

कुछ सेक्टर में नौकरियों की संख्या बढ़ी भी है. इसमें सर्विस सेक्टर सबसे आगे है. 2017-18 में सर्विस सेक्टर में नौकरी करने वालों की संख्या 12.7 करोड़ से बढ़कर 14.4 करोड़ हो गई. नॉन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर जैसे- कंस्ट्रक्शन और माइनिंग जैस क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या बढ़ी है.

इन सेक्टर में नौकरियों की संख्या 5.5 करोड़ से बढ़कर 5.9 करोड़ हो गई है. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बेरोजगार हुए लोगों को नौकरी के अवसर उपलब्ध करवाने की क्षमता सबसे अधिक है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में ये सेक्टर ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पा रहा है. 2011-12 की तुलना में 2017-18 के बीच करीब 40 लाख नौकरियां घटी हैं.