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चंद्रयान 2 लेकर ISRO ने बार-बार झूठ बोल, नासा ने किया नया खुलासा…

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आय बाय शाय बकने की भी लिमिट होती है… लेकिन अब देश मे मोदीराज है जहाँ निशिकांत दुबे जैसे सांसद हैं जो जीडीपी को मानक मानने से ही इनकार कर देते हैं. ओर इसरो के सिवन जैसे अध्यक्ष है जो अपने झूठ को छिपाने के लिए कुछ तो भी फेंकते रहते है कोई उनको सही करने की कोशिश नही करता और यदि करता है तो राष्ट्रहित के नाम पर 10 लोग आपका मुँह बन्द करवाने तुरंत आ जाते है, पूरी ट्रोल आर्मी है जो आपको देशद्रोही बताने लगे जाती है

नासा ने आज यह चित्र रिलीज किया है नासा ने चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर तलाश लिया है।…यह चन्द्रयान 2 के विक्रम लैंडर के अवशेष है जो चंद्रमा की सतह पर बिखरे हुए पड़े हैं…

यह साधारण बुध्दि से भी समझ मे आने वाली बात है कि चंद्रमा की सतह पर वातावरण नही है ओर ऐसे में यदि आप विक्रम को 5 राकेट लगाकर उसकी लैंडिंग का प्रयास करते हैं तो आपको उस लैंडर के राकेट को ठीक पहले उस वक्त बन्द करना होगा जब वह चंद्रमा की सतह को छूने ही वाला हो अब यदि इससे पहले बीच मे ही 2.1 किलोमीटर पहले आपका सम्पर्क उस लैंडर से टूट गया है तो वह क्रैश हो जाएगा और उसके टुकड़े सतह पर बिखर जाएंगे

लेकिन इसरो ने चन्द्रयान 2 को लेकर मीडिया में इतनी हाइप क्रिएट कर दी थी, इतना रायता ढोल दिया था कि उसे समेटना सम्भव नही था इसलिए उसने साफ झूठ बोल दिया कि लैंडर ‘विक्रम’ की चांद की सतह पर पर साबुत अवस्था में है और यह टूटा नहीं है। लेकिन ‘हार्ड लैंडिंग’ की वजह से यह झुक गया है तथा इससे पुन: संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है…

सभी लोगो ने अपना दिमाग सुरक्षित ताले में बन्द कर दिया और इसरो के झूठ पर यकीन कर लिया ओर इंतजार करने लगे कि कब विक्रम लैंडर से संपर्क कायम होगा!…लेकिन नासा ने कुछ दिनों बाद ही यह साफ कर दिया था कि चन्द्रमा के जिस एरिये में जहाँ इसरो विक्रम लैंडर की पोजिशन बता रहा है वहाँ वह मौजूद नही है …. कुछ दिनों पुर्व जब उस जगह से नासा का लूनर रिकॉनेसेंस ऑर्बिटर (LRO) सैटेलाइट गुजरा तो उसने ओर भी साफ तस्वीरे ली…. यह वही तस्वीर है. इनमें लैंडर के टकराने वाली जगह और मलबे वाले क्षेत्र को दिखाया गया है। नासा ने एक बयान में कहा कि मलबा मेन क्रैश साइट से 750 मीटर उत्तर पश्चिम में मिला। अमेरिकी एजेंसी ने घटना के पहले और बाद की तस्वीरें भी पोस्ट कीं, जिनसे चांद की सतह पर लैंडर के टकराने के बाद हुए असर के बारे में पता चलता है।