राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों की जाति को लेकर कांग्रेस नेताओं में आपस में ही सिर-फुटौव्वल शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से कांग्रेस में गए उदित राज ने ट्वीट करके कहा कि भारत में दलितों की आबादी ब्राह्मणों से तीन गुना ज्यादा है फिर राम मंदिर ट्रस्ट को ब्राह्मणों के भरोसे कैसे छोड़ा जाए। इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी और जतिन प्रसाद ने अपनी पार्टी के नेता उदित राज के खिलाफ ट्विटर पर मोर्चा संभाल लिया।
दलित नेता उदित राज ने अपने हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘भारत में हुई आखिरी जनगणना के मुताबिक दलितों की आबादी ब्राह्मणों से तीन गुना है। फिर सरकारी राम मंदिर ट्रस्ट सिर्फ ब्राह्मणों के भरोसे कैसे छोङा जाए? सरकार बेईमानी कर रही है। बहुजनों से लठैती करवाती है और माल (ट्रस्ट) उड़ाए ब्राह्मण।’
कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी को उदित राज की बात नागवरा गुजरी और उन्होंने जवाब देते हुए लिखा कि ब्राह्मण होना कोई पाप नहीं है। उन्होंने आगे लिखा कि मेरी चुनौती है कि कोई भी व्यक्ति इस विषय पर बहस कर ले।
बात यहीं खत्म नहीं हुई कांग्रेस के ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद भी मैदान में कूद पड़े। उन्होंने उदित राज को कांग्रेस की परंपरा समझाते हुए कहा, ‘जो भी विषय हो, कांग्रेस की परंपरा किसी भी जाति या समुदाय पर प्रहार करने की नहीं है। मेरा मानना है कि कांग्रेस की नीति अनुसूचित जातियों के पक्ष में विशेष सकारात्मक प्रावधानों के साथ सभी के लिए समान अवसर की है।
जो भी विषय हो , कांग्रेस की परंपरा किसी भी जाति या समुदाय पर प्रहार करने की नहीं है।मेरा मानना है कि कांग्रेस की नीति अनुसूचित जातियों के पक्ष में विशेष सकारात्मक प्रावधानों के साथ सभी के लिए समान अवसर की है।
गौरतलब है कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में मंदिर निर्माण के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे, जिनमें से एक सदस्य हमेशा दलित समाज का रहेगा। ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू धर्मावलंबी होना अनिवार्य बनाया गया है।
हिन्दू पक्ष का केस लड़ने वाले वकील के. परासरन ट्रस्ट के अध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा कामेश्वर चौपाल, स्वामी वासुदेवानंद जी महाराज, जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज, युगपुरुष परमानंद जी महाराज, स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र और महंत दिनेंद्र दास इसके सदस्य बनाए गए हैं। बाकी छह सदस्य मनोनीत किए जाएंगे।