Home समाचार पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतें क्या सिर्फ़ यूपीए सरकार की देन?

पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतें क्या सिर्फ़ यूपीए सरकार की देन?

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बीते दो महीने से पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. देश के कुछ राज्यों में इनकी कीमतें 100 रुपये को पार कर गई हैं तो अन्य सभी राज्यों में ये आंकड़ा 100 रुपये के बेहद क़रीब है.

मंगलवार को भी पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में 30 से 35 पैसे की वृद्धि हुई. देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल 98.81 रुपये और डीज़ल 89.18 रुपये प्रति लीटर बिका. वहीं मुंबई, बेंगलुरू, पटना, भोपाल में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से अधिक रही.

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें अप्रैल के महीने में लगातार 18 दिनों तक नहीं बढ़ाई गई थीं. जानकार इसके पीछे पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में विधानसभा चुनाव को वजह बताते हैं. चुनावों के नतीजे 2 मई को आने थे और एक बार फिर ये कीमतें पहली मई से बढ़नी शुरू हो गईं.

केवल मई के महीने में ही पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें 16 बार बढ़ीं. मई से जून के दरम्यान पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में 32 बार इज़ाफ़ा किया जा चुका है. बीते दो महीने के दौरान पेट्रोल और डीज़ल दोनों की कीमतों में अब तक क़रीब साढ़े आठ रुपये का इज़ाफ़ा किया जा चुका है.

केंद्र सरकार के मुताबिक बढ़ती कीमतों की वजह क्या है?

विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने इस पर खूब हल्ला मचाया. लगातार तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर मोदी सरकार की खिंचाई की गई.

फिर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बीते दिनों एक बार फ़िर ये दोहराया कि पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ी कीमतों की एक बड़ी वजह कांग्रेस पार्टी ख़ुद है, जिसने 2014 से पहले तेल कंपनियों को ऑयल बॉण्ड जारी किए थे.

उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार को यूपीए के दौरान जारी किए गए ऑयल बॉण्ड के मूलधन और उस पर लगने वाला ब्याज़ चुकाना पड़ रहा है और उसके भुगतान की वजह से ये कीमतें बढ़ रही हैं.

2018 में भी बीजेपी ने यही बातें अपने एक ट्वीट में कही थी. इसमें लिखा गया था कि पेट्रोलियम की कीमतों पर अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा क्या और किया क्या? वे कहते थे कि पैसे पेड़ों पर नहीं उगा करते और 1.3 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉण्ड का बिल बिना भरे ही चले गए. मोदी सरकार ने वो सारे बिल ब्याज़ समेत भरे, हमें अपने बच्चों पर बोझ नहीं डालना है.

धर्मेंद्र प्रधान का बयान आने के बाद कांग्रेस ने भी जवाब दिया. एक ट्वीट में उसने लिखा कि बीते 7 सालों में 22 लाख करोड़ रुपये कमाई हुई है जबकि ऑयल बॉण्ड पर केवल 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान ही किया गया है.