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कोरोना से जंग: देश को जल्द मिल जाएगी मॉडर्ना वैक्सीन, जानिए इससे संबंधित हर जानकारी विस्तार से

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देश में जल्द ही कोरोना की चौथी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। रिपोर्टस के मुताबिक 15 जुलाई तक देश के कुछ अस्पतालों में मॉडर्ना वैक्सीन पहुंच सकती है। इस वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा पिछले महीने ही देश में आपातकालीन उपयोग के लिए हरी झंडी मिल चुकी थी। मॉडर्न की उपलब्धता के साथ ही भारत में उपयोग के लिए कोरोना की चार वैक्सीनें हो जाएंगी। इससे पहले देश में दो स्वदेशी कोविशील्ड, कोवैक्सिन और रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन को प्रयोग में लाया जा रहा है।
हाल ही में, डीसीजीआई ने मुंबई स्थित दवा कंपनी सिप्ला को देश में आपातकालीन उपयोग के लिए मॉडर्ना की वैक्सीन को आयात करने की अनुमति दी थी। अमेरिका द्वारा विकसित यह वैक्सीन कई मामलों में खास मानी जा रही है। मॉडर्ना की दो-खुराक वाली वैक्सीन का व्यापक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप सहित कई क्षेत्रों में उपयोग किया जा रहा है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि यह टीका भारत के ‘वैक्सीनेशन ड्राइव’ को किस तरह से मजबूती दे सकती है? साथ ही यह कितनी प्रभावी साबित हो सकती है?एमआरएनए वैक्सीन है मॉडर्ना
मॉडर्ना की वैक्सीन एमआरएनए पर आधारित है। मतलब इस वैक्सीन में वायरस के स्पाइक प्रोटीन या जेनेटिक कोड के अंश को शामिल किया गया है। शरीर में इंजेक्ट होते ही यह वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रणाली को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने और टी-सेल को सक्रिय कर संक्रमित कोशिाकओं को नष्ट करने का निर्देश देती है। मॉडर्ना जैसी कोरोना की एमआरएनए वैक्सीन लगने के बाद भी यदि किसी व्यक्ति को संक्रमण हो जाए तो ऐसी स्थिति में शरीर में बनी एंटीबॉडी कोरोनावायरस स्पाइक्स पर चिपक जाती हैं और उन्हें नष्ट करना शुरू कर देती हैं। ऐसे में संक्रमण का असर बढ़ने नहीं पाता है।

कितनी प्रभावी साबित हो सकती है भारत के लिए मॉडर्ना वैक्सीन?
मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन को दुनियाभर में उपलब्ध सबसे प्रभावी टीकों में से एक माना जाता है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड की तरह, मॉडर्न वैक्सीन दो खुराक के बाद पूरी तरह से प्रभावी है और इसकी प्रभाविकता 94.1 प्रतिशत के करीब देखी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में वैक्सीन की कमी को दूर करने और लोगों में मजबूत प्रतिरक्षा बनाने में मॉडर्ना वैक्सीन काफी उपयोगी साबित हो सकती है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, मॉडर्न की वैक्सीन, टीकाकरण के बाद कई सालों तक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

डेल्टा वैरिएंट्स पर कितनी कारगर है यह वैक्सीन?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मॉडर्ना एमआरएनए वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट और कोरोना वायरस के अन्य म्यूटेशनों के खिलाफ प्रभावी हो सकती है। इतनी ही नहीं इससे अस्पताल में भर्ती होने के खतरे और मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। खास बात यह भी है कि मॉडर्ना वैक्सीन को 12-17 साल की आयु वाले बच्चों के लिए भी प्रभावी माना जाता है। इस आयुवर्ग वाले लोगों में वैक्सीन की प्रभाविकता 96 फीसदी के करीब की देखी गई है।

मॉडर्ना वैक्सीन से जुड़ी समस्याएं और साइड-इफेक्ट्स
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर लागत और वितरण संबंधी कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस वैक्सीन की रखरखाव के लिए कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता होती है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक मॉडर्ना वैक्सीन के कारण लोगों में अन्य वैक्सीनों की तरह ही कुछ साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसमें मुख्यरूप से लोगों को सिरदर्द (64.7 प्रतिशत), मांसपेशियों में दर्द (61.5 प्रतिशत), ठंड लगना (45.4 प्रतिशत), मतली और उल्टी (23 प्रतिशत) और बुखार (15.5 प्रतिशत) की शिकायत हो सकती है।

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स्रोत और संदर्भ:

अस्वीकरण नोट: यह लेख विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का वेबसाइड पर उपलब्ध वैक्सीन की जानकारियों के साथ कुछ मीडिया रिपोर्टस के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं।