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48 फीसदी पैरेंटस टीकाकरण के बिना नहीं भेजना चाहते अपने बच्चों को स्कूल, सर्वे में खुलासा

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सर्वे में देशभर के 361 जिलों के अभिभावकों की राय ली गई थी. नतीजे से पता चला कि 30 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं अगर कोरोना वायरस के मामले उनके जिलों में घटकर शून्य हो जाएं.

करीब 48 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण कराए बिना स्कूल भेजने की इच्छा नहीं रखते हैं. 30 फीसद ने बताया कि कोविड-19 के मामले गिरकर शून्य हो जाएंगे, तब बच्चों को स्कूल भेजेंगे. ये खुलासा एक नए सर्वे में हुआ है. बच्चों को स्कूल भेजने पर अभिभावकों की तरफ से जाहिर की गई हिचकिचाहट के बीच कम्यूनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने 1 अगस्त से क्लासेस की फिजिकल रूप से शुरुआत पर अभिभावकों की राय को समझने के लिए सर्वे किया.

क्या है बच्चों को स्कूल भेजने पर अभिभावकों की राय?

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में शामिल 48 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं थे जब तक कि उनका टीकाकरण नहीं हो जाता. लोकल सर्किल्स के संस्थापक सचिन टपारिया ने कहा कि 21 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजन को तैयार दिखे जबकि सर्वे में शामिल एक फीसद ने बताया कि उनकी राय इस मामले पर कुछ नहीं है. सर्वे में देशभर के 361 जिलों के 32,000 अभिभावकों की राय ली गई थी. नतीजे से पता चला कि 30 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं अगर कोरोना वायरस के मामले उनके जिलों में कम हो कर शून्य हो जाए.

बिना टीकाकरण के 48 फीसद बच्चों को नहीं भेजना चाहते- सर्वे

सर्वे में शामिल प्रतिभागियों की 68 फीसद संख्या पुरुषों की थी जबकि महिलाओं की तादाद 32 फीसद. वर्चुअल क्लास की तरफ वापसी से पढ़ने-पढ़ाने की कई समस्याएं हुई हैं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में. बड़ी संख्या में छात्रों को डेटा कनेक्टिविटी और स्मार्टफोन और लैपटॉप उपलब्ध नहीं हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को बीजेपी सांसदों से कहा था कि बच्चों के लिए कोविड टीकाकरण की जल्द शुरुआत होने की संभावना है. देश भर में स्कूलों को पिछले साल मार्च में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए बंद करने का आदेश दिया गया था.