आत्मा के स्वरूप को जानने परमात्मा की आवश्यकता
कल होगी मंगल पावन वर्षायोग कलश की स्थापना –विजय धुर्रा
अशोकनगर – भगवान की भक्ति करते करते भक्त ही आगे चल कर भगवान वन सकता है एक बार जो जिन वन गया वह कभी फिर जगत के चक्करो में नहीं रहता एक बार दूध से घी वन गया वह फिर कभी दूध नहीं वनता ऐसे ही जो एक बार मुक्ति को प्राप्त कर लेता है वहां कभी संसार में नहीं रूलता वह तो हमेशा के लिए परम पावन मोक्ष पथ विराजमान हो जाता है ये मनुष्य जन्म संसार में उलझने को नहीं मिला ये मानव जीवन संसार सागर से पार उतरने को मिला है कैसे भी करके हमें पार पाना है उक्त आश्य केउद्गार सुभाष गंज मैदान में धर्मसभाको सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री आर्जवसागर जी महाराज ने व्यक्त किए ।
नो जुलाई को होगा चातुर्मास कलश स्थापना समारोह
समारोह में मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि कल का दिन हम सभी के लिए बहुत विशेष दिन है कल रविवार को मध्यान्ह में आचार्य श्री आर्जवसागरजी महाराज जी महाराज ससंघ मुनि श्री भाग्य सागरजी महाराज मुनि श्री महत सागर जी महाराज मुनि श्री सजग सागर जी महाराज मुनिश्री सानंद सागरजी महाराज ससंघ अपने चातुर्मास की स्थापना भक्तियो के पाठ के साथ करेंगे इस दौरान चातुर्मास कलशों की स्थापना भक्तों द्वारा की जायेगी समारोह में मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री राव ब्रिजेन्द्र सिंह यादव राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त अजय सिंह यादव सासंद डॉ के पी सिंह विधायक जजपाल सिंह जज्जी भइया नपा अध्यक्ष नीरज मनोरिया जिला पंचायत अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह रधुवंशी को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया साथ ही शहर के प्रमुख जनो सभी समाजों के पदाधिकारियों को विशेष आमंत्रित किया गया है चातुर्मास कलश स्थापना समारोह दोपहर एक बजकर तीस मिनट से मंगलाष्टक के साथ प्रारंभ होगा इसके वाद श्री विद्यासागर सर्वोदय पाठशाला की वेटियो दारा संगीत नृत्य के साथ मंगलाचरण प्रस्तुत किया जायेगा इस दौरान युवा वर्ग के संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने कहा कि चातुर्मास धर्म ध्यान करने का सुनहरा मौका है हम अपने प्रतिष्ठान प्रवचन के बाद खोले और धर्म सभा का भर पूर आनंद ले।
मंत्री सांसद विधायक के साथ सभी समाजों को किया आमंत्रित
जैन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल महामंत्री राकेश अमरोद कोषाध्यक्ष सुनील अखाई थूवोनजी अध्यक्ष अशोक जैन टींगू महामंत्री विपिन सिंघाई मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा संयोजक उमेश सिघई गांव मन्दिर संयोजक मनीष सिघई पारसनाथ मन्दिर संयोजक मनोज रन्नौद शान्ति नगर संयोजक श्रेयांस घेला अजित वरोदिया राजेन्द्र अमन प्रदीप तारई प्रमोद मंगलदीप संजीव भारिल्ल मनीष वरखेडा मुकेश हार्डी संजय के टी निर्मल मिर्ची नितिन बज सौरव वाझल रोहित सिघई सुलभ अखाई ने सभी से उपस्थित का निवेदन किया है
प्रभु के आलबंन से हम भी मुक्ति को प्राप्त कर सकते हैं
आचार्य श्री कि निर्ग्रन्थ बने बिना मोक्ष पद संभव नहीं है.दर्शन में एक आत्मा का भी दर्शन है।दर्शन में जब ध्यात्म जुड़ जाता है तो प्रदर्शन समाप्त हो जाता है। हमें अपनी आत्मा के दर्शन के लिए महान वीतरागी विशेष श्रेष्ट साधक अथवा जिन्होंने अपनी आत्मा की उपलब्धि प्राप्त कर ली है उनका आलंबन लेना पड़ेगा तभी हमें अपनी आत्मा का दर्शन होगा।आत्मा के स्वरूप को जानने हमें परमात्मा की आवश्यकता है।
त्याग के विना आत्मा का आनंद नहीं मिल सकता
आचार्य भगवंत ने और भी बताया कि हमें भगवान से भावना भानी चाहिए कि हे प्रभु ¡आपकी भक्ति हमें भव भव में मिलती रहे जब तक मुझे मुक्ति न मिले। मैं राज्य संपदा का वैभव नहीं चाहता, मैं चक्रवर्ती का वैभव भी नहीं चाहता हूं।मैं तो मात्र आपकी भक्ति ही चाहता हूं…आपका समागम ही चाहता हूं।गुरुदेव नें कहा कि पर वस्तु का त्याग किए बिना आत्मा की अनुभूति नहीं होती जिसको देव आयु को छोड़कर अन्य आयु का वंध हो जाता है उसको संयम लेने के भाव ही नहीं होते प्रकृति दंत नियम है सिंध्दात है इसमें परिवर्तन नहीं होता जिनको आयु का वंध नहीं हुआ वे संयम के मार्ग पर बड़ सकते हैं संयम ग्रहण करने वाले बड़े बड़े वैमानिक देव वनते है जहां अपार सुख और वैभव होता है वहीं देव अष्ट रि्द्धि धारी वनकर समवशरण में अंगिम पंक्ति वैठकर धर्म ध्यान करता है उसको इतना वैभव मिलता है इतना आकर्षक है जगत देखता रहा जाता है ये सब वैभव पुण्य से किसी को भी मिल सकता है उनका इस पर एकाधिकार नहीं है आप भी इसे प्राप्त कर सकते हैं करने का पुरूषार्थ करना चाहिए